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kanta roy's Discussions (2,219)

Discussions Replied To (6) Replies Latest Activity

"आदरणीया शशि बंसल जी हृदय तल से आभार आपको रचना पर मेरा हौसला बढाने के लिए ।"

kanta roy replied Jul 3, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

"रचना पर हौसला वर्धन करने के लिए तहे दिल से आभार आपको आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा जी"

kanta roy replied Jul 3, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

"पिछली बार इसी मंच पर ओबीओ लाइव महा उत्सव आयोजन में आप सभी सुधी जनों के द्वारा मुझे क…"

kanta roy replied Jul 3, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

"" छेदिया एक पैसहिया " ..... बहुत बडी़ बात कही है आपने सर जी । बिलकुल सही कहा आपने कि…"

kanta roy replied Jul 2, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

"कविता गजल छंद मेरे मन को बहुत भाते हैै लिखना नहीं आता हैै लेकिन मन को तरावट सदा इन्ह…"

kanta roy replied Jul 2, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

"हृदय तल से आभार आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर मेरी कोशिश को हौसले का बल देने…"

kanta roy replied Jul 2, 2015 to दादा जी अब कब आयेंगे ( बाल गीत )कान्ता राॅय

13 Jul 6, 2015
Reply by Shyam Narain Verma

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"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
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Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
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"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
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"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
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अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
Tuesday

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