For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाल कहानी
*अब मैं नहीं चिढूंगा*
.. डॉ सोमनाथ यादव "सोम"

आज फिर कक्षा में
सहपाठियों ने अनिल की हंसी उड़ाई,अनिल का कसूर इतना ही था कि आज वह पिकनिक पर जाने के लिए रुपए जमा नहीं कर सका और एक बार फिर जमा कर देने के लिए कहा गया,अनिल को आज बड़ा बुरा लगा,अपने पिता पर भी गुस्सा आ रहा था,वह सोच रहा था कि अगर उसके पिता गरीब न होते तो उसकी बार बार हंसी नहीं उड़ाई जाती।
हालाकि सोमेश ने भी रुपए जमा नहीं किए थे,मगर कक्षा में उसकी हंसी नहीं उड़ाई गई,सभी लड़के जानते थे कि सोमेश के उपर मजाक का कोई असर नहीं होता है।कक्षा से बाहर निकलते समय अनिल काफी उदास था,अनिल को उदास देखकर सोमेश ने पूछा _ इतने उदास क्यों हो मित्र ? सोमेश की बात सुनकर अनिल ने सोचा कि सब कुछ जानते हुए भी सोमेश उससे उसकी उदासी का कारण पूछ रहा है,जरूर वह भी उसका मजाक बना रहा है,इस कारण उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
सोमेश सब कुछ समझ गया। उसने कहा _ मित्र, जरा जरा सी बात में नाराज नहीं होते यह सब कुछ तो चलता ही रहता है,इसे भूल कर हंसते खेलते अपने घर जाओ,अनिल कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप चला गया। घर आकर अनिल ने कोहराम मचा दिया,उसने अपने पिता जी से कहा कि उसे हर कीमत में रुपए चाहिए,चाहे वह रुपए कही से भी लाए।अनिल के पिता मनहरण लाल काफी गरीब थे वह बड़ी मुश्किल से अनिल को पढा़ पा रहा था।अनिल की जिद ने उन्हें चिंता में डाल दिया,काफी सोच विचार करने के बाद किशन लाल सेठ के पास पहुंचे,किशन लाल समान गिरवी रखकर पैसा दिया करता था।मनहरण लाल ने घर से लाए समान सेठ के पास गिरवी रख रुपए ले लिए।
रुपए पाकर अनिल बड़ा खुश हुआ,वह सोचने लगा कि अब वह अपने कक्षा के छात्रों की बोलती बन्द कर देगा,वह भी पिकनिक पर जाएगा। अगले दिन स्कूल के बाहर उसे सोमेश मिल गया । अनिल ने सोमेश से पूछा क्यों सोमेश क्या तुम पिकनिक पर जाओगे? सोमेश ने जवाब दिया, नहीं मित्र, में नहीं जाऊंगा। मगर मैं तो जाऊंगा जमा करने के लिए रुपए भी लाया हूं अनिल बोला। लेकिन तुम्हारे पास अचानक पैसा कहा से आ गया? सोमेश ने पूछा।पिता जी ने दिया है, अनिल बोला । सोमेश समझ गया कि अनिल के पिता कही से उधार लेकर पैसा लाए होंगे? सोमेश ने अनिल से कहा अनिल, तुमने पैसा लेते समय यह सोचा कि तुम्हारे पिता जी पैसा कहा से लाए है? अनिल ने कहा, नहीं सोचा, मुझे पिकनिक में जाना जरूरी है,कक्षा में सभी लड़के मेरे गरीबी का मजाक उड़ाते है,अब मै पैसा जमा कर दूंगा तो मेरा मजाक नहीं बनाएंगे। ऐसा कब तक होगा? सोमेश ने उसे समझाया , देखो अनिल,मजाक से कभी घबराना,डरना नहीं चाहिए,जो लोग तुम्हारी गरीबी का मजाक बनाते है,शायद उन्हें यह भी नहीं मालूम कि उनसे भी ज्यादा अमीर लोग मौजूद है,और शायद तुम्हें भी यह नहीं मालूम कि तुमसे ज्यादा गरीब लोग मौजूद हैं।गरीब होना बुरी बात नहीं है,आज तुम गरीब हो अगर मेहनत से पढोगे,लिखोगे तो कल तुम भी अमीर बन सकते हो। तुम अपने ऊपर मजाक से चिढ़ते क्यो हो? इतना कहकर सोमेश ने अनिल की ओर देखा,उसे लगा कि अनिल के ऊपर उसकी बात का असर हो रहा है। कुछ देर चुप रहने के बाद पुनः फिर से कहा, अनिल अगर तुम्हे अपने मित्रो से होड़ करनी है तो पढ़ाई में करो,तुम अच्छे नंबर पाकर उनके मजाक का उत्तर दो,तुम बेकार में चिढ़ते हो, मै भी गरीब हूं वे लोग भी मेरा मजाक उड़ाते थे मगर मै चिढ़ता ही न था,इसलिए उन लोग मेरा मजाक उड़ाना बन्द कर दिये। याद रखो कि जो जितना ज्यादा चिढ़ेगा लोग उसको उतना ही ज्यादा चिढ़ायेंगे । सोमेश की बात सुनकर अनिल सोच में डूब गया,उसे लगा कि वह कितनी बड़ी गलती कर रहा था, उसने सोमेश से कहा , तुम ठीक कहते हो मित्र, मजाक उड़ाने का सिलसिला तो अंतहीन है,कब तक मै उनकी बराबरी कर पाऊंगा? आम मै भी मजाक उड़ाए जाने पर खामोश रहा करूंगा,और अच्छे नंबरों से पास होकर उनके मजाक का करारा जवाब दूंगा।
इतने में स्कूल की घंटी बज उठी , दोनों कक्षा में जा पहुंचे। आज फिर अनिल का नाम पुकारा गया उसने बड़ी दृढ़ता पूर्वक जवाब दिया कि वह पिकनिक पर नहीं जाएगा,कक्षा में हंसी का ठहाका गूंज उठा, तरह तरह की आवाजें आने लगीं,मगर अनिल शांत बैठा रहा। कुछ दिनों परीक्षा चालू हो गई,सभी विद्यार्थी परीक्षा में लग गए।
तिवारी सर परिणाम बताने कक्षा में प्रवेश किये,सभी विद्यार्थी शांत हो गए। तिवारी सर सभी छात्रों का एक एक नाम पुकार रहे थे तथा परीक्षा परिणाम बता रहे थे तभी अनिल का नाम तिवारी सर पुकारे, यस सर कहकर अनिल खड़ा हुआ,तिवारी सर उसे बधाई देते हुए कहा, तुम प्रथम श्रेणी से पास हुए हो। उसने सोमेश की तरफ देखा सोमेश इशारे से बधाई देते हुए मुस्कुरा दिया,उसे मुस्कुराते देख बाकी लड़के खामोश हो गए।
*डॉ सोमनाथ यादव "सोम"*
1, प्रेस क्लब भवन,
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

Views: 802

Replies to This Discussion

अच्छी प्रेरक कथा के लिए बधाई आ.सोमनाथ यादव जी

बहुत अच्छी कहानी है। 

आ. भाई सोमनाथ जी, सादर अभिवादन । बच्चों व बड़ों के लिए बहुत ही प्रेरक कथा है । हार्दिक बधाई ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service