फूल,कुसुम या पुष्प,सुमन हो,
चन्दन,मलयज,मलयोद्भव।
आराधन,पूजा,उपासना,
कृष्ण,मुरारी,मधु,माधव।
कृपा,दया,अनुग्रह,करुणा की,
चाह,कामना,अभिलाषा।
अम्बा,दुर्गा,देवी,मैया,
सरस्वती,वाणी,भाषा।
लक्ष्मी,कमला,रमा,मंगला,
गणपति,शिवसुत भी आओ,
आंजनेय,बजरंगबली,हनु,
धन,दौलत,संपत्ति लाओ।
सुरतरंगिणी,सुरसरि,गंगा,
जैसे स्नेहस,घी,घृत है।
नद,सरि,सरिता,नदी,आपगा,
अमिय,सुधा,मधु,अमृत है।
सागर,अर्णव,जलनिधि,वारिधि,
व्योम,गगन,अम्बर,नभ भी।
पर्वत,अचल,शैल,नग,भूधर,
पूज्य,मान्य,श्रद्धेय सभी।
भूतल,धरती,वसुधा पर जब,
भानु,अरुण,दिनकर चमके,
जग,महितल,दुनिया,भुव सारा,
चारु,रम्य,सुंदर दमके।
बरखा,वर्षा,बारिश,वृष्टि,
पवन,तनून,हवा बहती।
लता,वल्लरी,बेल झूम कर,
वृक्ष,विटप,तरु पर रहती।
बादल,बदरा,मेघ,पयोधर,
पानी,नीर,सलिल भाये।
मछली,जलचरी,मत्स्य ,मीन अरु,
मंडुक, मेंढक,प्लव आये।
आम,रसाल,आम्र,अमृतफल,
कमल,जलज,पंकज खिलते,
कोकिल,कोयल,पिक,मधुगायन,
उषा,भोर सुनने मिलते।
मुनि,सन्यासी,तपसी,योगी,
विज्ञ,बुद्ध,पंडित,ज्ञानी।
गुरु,शिक्षक,व्याख्याता सारे,
ब्रह्म,ईश,अंतर्यामी।
माँ,जननी,माता,धात्री,जा,
जनक,पिता,पितु,दयिता ने।
अंतःकरण,हृदय,मन,मानस,
शुद्ध किया वधु,वनिता ने।
पुत्र,तनय,सुत,नंदन,बेटा,
आँख,नयन,चख का तारा।
सुता,स्वजा,बिटिया,तनुजा से,
हर्षित,मुदित ये जग सारा।
तात,बंधु,भ्राता,भाई अरु,
अंतरंग,साथी,सहचर।
प्रेम,प्यार,अनुराग,प्रीति से,
महके सदन,भवन,गृह,घर।
पठन,पढ़ाई,परिशीलन से,
बुद्धि,चेतना,मति जागे।
हो विख्यात,यशस्वी सारे,
कदम बढ़ाओ सब आगे।
अनुनय,विनती,विनय,प्रार्थना,
छात्र,शिष्य,अध्येता से।
'शुचि' रचना से लाभ उठाओ,
याद करो सब दृढ़ता से।
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