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सोलह की मात्रा पर बहुत ही सुन्दर प्रवाह बनता है. बहुत ही अच्छी बाल-रचना है, प्रवहमान है.
पहली पंक्ति को थोड़ा और साधना था. मात्रा बढ़ रही है.
बाल-साहित्य समूह में रचना प्रेषित करने के लिये, डा. प्राची, आपको सादर धन्यवाद.
इस बाल गीत को पसंद करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी.. पहली पंक्ति में मात्रानुसार वांछित परिवर्तन कर दिया है. आपका आभार.
अब देखिये प्रवाह कितना सधा हुआ लग रहा है .. . बहुत सही हुआ है अब .
धन्यवाद सौरभ जी
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