For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा सपना //कुशवाहा //

------------------------

माँ मेरी बहुत है प्यारी 

मुझको नित दुलराती है 

कई घर काम वह्  करती 

तन काट मुझे पढवाती  है 

पापा  नहीं दुनिया में अब 

माँ ही मेरी दुनिया है 

छोटी बहन एक है  मेरी 

नाम उसका मुनिया है 

इससे मांग उससे  मांग 

किताबें  खरीद लाती है 

थक कर भले ही  हो चूर चूर 

लोरी मुझको  सुनाती है 

मुनिया मेरी देखा देखी 

चील बिलौआ बनाती है 

छीनू कलम मै उससे जब 

मा मा कर  वह चिल्लाती है 

सपने उसके   करूँगा पूरे

मैं दिया और  वो बाती है 

मेरी ही बहना नही वो 

भारत माता  की थाती है 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

२४-४-२०१३ 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 960

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रदीप जी इस सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
इस रचना में कहन का क्रम टूट गया है। रचना की शुरूआत आपने मां से की बीच में बहन का जिक्र आया और अगली पंक्ति में फिर मां का जिक्र शुरू हो गया। यहां पाठक को समझने में दिक्कत होती है कि जिक्र आप मां का कर रहे हैं कि बहन का।
बेहतर होता कि आप मां का जिक्र करते फिर बहन का।
इस सुन्दर प्रयास के लिए एक बार फिर से बधाई स्वीकारें।
सादर!

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

देखता हूँ. 

ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये 

आदरणीय ब्रजेश जी 

सादर 

जो करना हो कर दीजिए 

सस्नेह.

कुछ संशोधन का प्रयास किया है शायद आपको पसंद आए।

मेरी माँ बहुत है प्यारी 

मुझको नित दुलराती है 

पापा  नहीं दुनिया में अब 

माँ ही मेरी दुनिया है 

घर घर जा काम वह्  करती 

काट के तन पढवाती  है 

इससे उससे  मांग मांग

किताबें  खरीद लाती है 

भले हो थक कर चूर चूर 

लोरी मुझको  सुनाती है 

छोटी बहन एक है  मेरी 

नाम उसका मुनिया है 

मुनिया मेरी देखा देखी 

चील बिलौआ बनाती है 

छीनू कलम मै उससे जब 

मा मा कर  वह चिल्लाती है 

सपने उसके   करूँगा पूरे

मैं दिया तो  वो बाती है 

मेरी ही नही वो बहना

भारत माता  की थाती है 

 

 

आदरणीय प्रदीपभाईजी, आपकी संवेदनशीलता सदा से प्रभावित करती रही है. प्रस्तुत रचना शिल्प के लिहाज चाहे जैसी हो, रचना के भाव अत्यंत समृद्ध हैं. पाठक का हृदय नम हो जाता है. बहुत-बहु बधाई स्वीकार करें, आदरणीय.

भाई बृजेशजी ने बहुत कुछ सुझाव के तौर पर कहा है. उनका अनुसरण रचनाकर्म को गति देगा.

सादर

आदरणीय गुरुदेव 

सादर अभिवादन 

प्रयास किया है तकनिकी में लाने का 

आपका आशीर्वाद फलेगा जरूर. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
8 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service