शक्ति छंद:
122 122 122 12 (11=2 मांन्य)
करें प्रार्थना प्रभु जरा ध्यान दो
दया प्रेम दिल में भरा ज्ञान दो
जुड़ें ना कभी हम किसी पाप से
बचें हम बुरे कर्म सन्ताप से।।
जलाएँ न घर हम किसी और का
सजाएँ वतन मिल नए दौर का।।
लगे हर जगह आज घर द्वार सा
अखिल देश हो एक परिवार सा।।
रहें साथ हिन्दू मुसलमान भी
पड़े वक़्त हों साथ कुरबान भी
न बांटे कभी कौम, इंसान को
मिलाएँ गले राम रहमान को।।
सदा सोच हो राष्ट उत्थान की
सदा बात हो खेत खलिहान की
सहनशीलता का न अवधान हो
बुरी बात का भी न गुणगान हो।।
कहीं पर दिवाली कहीं ईद हो
बराबर लिये भाव हर चीज हो
बिखेरे छटा सत्य तस्वीर ही
बहे गंग जमुनी सदा नीर ही।।
सभी आज प्रण लें सहज भाव से
रहें हम सदा दूर टकराव से
वतन पर मिटें हम, दिखे भावना
उसी के लिए हो सभी साधना।।
मौलिक व अप्रकाशित
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शक्ति छंद में बढ़िया प्रार्थना/आह्वान। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी।
आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया से रचना सुशोभित हुई। बहुत बहुत आभार
बेहतरीन प्रेरक और प्रोत्साहक प्रार्थना सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।
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