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हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी ,

बन गइनी बंजारा छुट गइल हमार घर बाड़ी ,
आज इहा कल उहा रहिले जब ले चक्का घुमेला ,
हो जाला ख़राब गाड़ी ता तन से पसीना चुवेला ,
चलत रहेला गाड़ी भईया पईसा आवे बारी बारी ,
हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी ,
जाम में फसनी हमहू समय से ना पहुचल मॉल ,
मालिक त कम गरिआवालास पार्टी कईलस बुरा हाल ,
इनाम के मॉल मिल गइल त मेहनत कईनी भारी ,
समय से पहुच गइनी त लागल आइल बानी ससुरारी ,
माई छुटली बाबु छुटले आउर छुटली घरवाली ,
हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी ,
गाड़ी बढ़ो उनकर भईया एक से करस पचास ,
आउर कुछ भाईयन के भईया घर से छूटे साथ ,
बाकिर उ चमचन के चक्कर में ना आवस जी ,
चमचा खुबे पिहान घी भईया हमनी के जाई जी ,
मालिक के बनी आटारी संगे हमरो बनी बाड़ी ,
हो गइनी मजबूर हजूर जब मालिक किनले गाड़ी ,

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Replies to This Discussion

BAHUT SUNDAR DHANG SE VYATHA VYAKT KI  GURU JI
dhanyabad kuluvi ji
कर्ज़दार 

दुनियाँवाले हैं कर्ज़दार हम दीवानों के
हमको पहुंचा दिया आखिर शराब खानों में
हमको बदले में मुहब्बत के ठोकरें  ही मिली 
सकूँ हमको मिला आखिर इन पैमानों में 

दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
०२/०७/२०११.
MY OIL PAINTING
चालक की व्यथा का सुन्दर वर्णन। गुरू जी बधाई

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