खेतवा में लिखल बाटे जेकर हो करमवा
हथवा में हल लेईके चलेले हो किसनवा l
नाहीं कौनों फईसन बाटे अपने त देहियाँ
बचल खुचल उमड़ेले बचवन पे नेहियाँ
खईहैन कि भूखे सोईहैन इहै किसनवा l ....१
कहाँ बाटे नैनों कार कईसन बा सफारी
इनके दुआरे ख़ाली सजेले बैलगाड़ी
कभी पूरा होइहै भाई इनकर अरमनवा ?....२
का बनिहैं साक्षर इहाँ महँगी बा पढाई
रूपरेखा खाली इनकर खेतवे रही जाई
केकर बा सहारा ना सोचेले नादानवा l ...३
इनके हथेलिया पे का ई लिखला विधाता
पलटी जाई समय कहिओ ना हमके बुझाता
जबकि पेटवा भरलें सबकर मान हो कहनवा l....4
अतेन्द्र कुमार सिंह 'रवि'
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