For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बात जवन भुलाला ना ( शिक्षक दिवस पर विशेष ) 

जिनगी में कभो कभो अइसन घटना घट जाला जवना के आदमी भुला ना पावे, बात आज से २३ बरिस पहिले के ह वोह घरी हम कक्षा ९ में पढ़त रहनी, हमनी के एगो अंग्रेजी के मास्टर साहब रहले उनुकर नाम आर. पी. श्रीवास्तव रहे | बहुते शानदार व्यक्तित्व रहे उनुकर, हैण्ड राईटिंग अइसन कि सभे लईका ओइसने लिखल चाहत रहन स, हमार अंग्रेजी राईटिंग में उनुकर बहुत परभाव बा | पढ़ावे के तरीका एतना नीमन कि कवनो लईका उनुकर क्लास ना छोड़ल चाहे आ उहों  के कभो नागा ना करस | रोज के तरे ओहू दिने सर क्लास में अइले आउर हमनी के सब जाना खाड़  होके एकेसुर में बोल पड़नी जा "गुड आफ्टर नून सर" उहा के बईठे के इशारा कर के खुदों कुर्सी पर बईठ गईले आ कहले कि "आज बहुत थक गया हूँ, नया चेप्टर नहीं पढ़ाऊंगा, आप सभी स्वयम से पिछले चेप्टर का आंसर लिखें" | मने मन बड़ा खीस बरल, काहे से कि आज नया चेप्टर पढ़े के मन रहे, खीस में हम धीरे से बुदबुदा दिहनी "बड़का थाक गईल बाड़ें, लागत बा ईटा ढो के आइल बाड़ें" | बगल में हमरा एगो मनबढ़ू साथी बईठल रहे उ तपाक से खाड हो के सर से हमार बुद्बुदाइल बात जोर जोर से कह दिहलस | अब त हमार हालत डर के मारे पातर हो गइल, उहा के हमरा के कुछु ना डटनी, पर जवन बात कहनी उ हम ताजीवन ना भुला पाईब | हमरा ओर देख के कहले "ईश्वर करें तुम पढ़ लिखकर कोई अच्छी नौकरी करों तब स्वयम समझ में आ जायेगा कि केवल ईट ढोने से ही आदमी नहीं थका करता है" आजुओ जब हम आफिस से थाकल घर जानी त सर के कहल उ बात कान में गूंजे लागेला | आज शिक्षक दिवस के अवसर पर हम रउआ के बहुत इयाद करत बानी, राउर चरण में हमार कोटि कोटि परनाम बा | 
*********************************************

Views: 965

Replies to This Discussion

संस्मरण के पोथी से अइसना पन्ना के काढ़ल मन के भेंइ गइल, भाई गणेशजी. सही कहल बा, जवन जिनिगी के लइकाईं में हमनी का सपना अस सोचत रहनीं जा, ऊ जिनिगी के जीये में कातना पेरासन बा, ई अब बुझाता. अपना गुरुजी लोगन के इयाद क के मन स्रधा से नत हो जाला.

एगो बात : भोजपुरी में ’भी’ आ ’ही’ के प्रयोग नत कइल करीं. जतना बाँचल जाव ओतने नीमन.  जवना शब्द के पाछा ’भी’ आवे के होखे ओह शब्द के अंतिम अक्षर में ओ के मात्रा लगा दीहल करीं. जइसे,  उहा के भी’  के उहों के कइल जा सकेला. चाहे वोह दिन भी  के उहो दिने के प्रयोग होला. आदि-आदि..

एह पोस्ट खातिर बधाई.  भोजपुरी मंच के उजियार राखल जाव.

बहुत बहुत आभार भईया, इ घटना बहुत बार सोचनी कि साझा करी, पर कवनो ना कवनो बहाना ना हो पावत रहे, आज हम अपना के ना रोक पवनी, त्रुटी के सुधार कर दिहले बानी एक बार औरो रौआ एह बात के बतवले रहनी, पर फेनु उहे भूल हो गइल रहे, क्षमा चाहेब |

गणेश भाई, हमनी के जवार के भाषा में शिक्षक  शब्द आम जन के बोलाचाली में बुला बहुत्ते (बहुत ही) बाद में आइल. भा, सोझ कहीं त, हिन्दी भाषा के कारने आइल. ना त बेसिको इस्कूल में पढ़ावे आला अमदी गुरुजी कहात रहे. हम लइकाईं में गँउवा के मास्टर साहब के गुरु जी कहीं, आ ऊ मास्टर साहेब के सँहतिया भा समउमरी लोग सोझ मास्टर कहे. माने गुरुजी शब्द हाल ले हमनी के बोली में रहे आ आदरसूचक शब्द रहे.

सही कहनी हां, हमनी के वोह घरी(कक्षा ५ तक) अचार (आचार्य) जी कही जा अउर प्रधानाचार्य जी के बड़े अचार जी, वोकर बाद माट साहेब कहाए लागल लोग तनी अउर बड़ भईनी जा त मास्टर साहब पर ना जाने काहे संस्कृत वाले टीचर जी हर समय गुरुए जी कहासु :-)

सचकीऽऽऽ..  संस्कृत के माहटर साहेब गुरुए जी कहासु. ..  :-)))))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
20 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service