"मुखियाजी, ई स्साला रॉकिया ’कुक्कुरजात’ के इज्जत खराब करे प तुलल बा."
"अरे का भइल रे शेरुआ..... तनिका सोझ-सोझ बताउ.."
"मुखियाजी, ई ससुरा काल्हु राह चलता एगो छोट लइका के बेमतलबे काटि लिहलस"
"हँ रेऽऽऽ ? सही बात ?.....," मुखियाजी गरजले.
"मुखियाजी, गलती भ गइल.. दरअसल उ लइकवा के गोड़ से एगो ढेला लड़ि के हमरा लागि गइल आ हमरा बुझाइल जे ऊ जान-बुझिके मरलस हऽ. एही भरम में हबका गईल."
"हूँऽऽऽ.. समझ-बुझि के नू कवनो काम करे के चाहीं, ना त हमनी भा ’आदमजात’ में का अंतर रहि जाई ? ओइसहूँ ई बात पंचायत में कौ हाली कहाइल बा जे मेहरारू, छोट लइकन आ बूढ़-पुरनिया के गलतियों प नइखे काटे के.. बाकिर तहनी लउंडा-लफाड़ी के त कुछऊ सुनाते नइखे.. दिन-प-दिन तहनी प ’अदमीपन’ हावी भइल जा रहल बा. हम फेनु कहि रहल बानी.. सुधर जा स, ना त कहियो ’अदमी’ के मउअत मरबs सऽ.."
"माफ़ क दीं मुखियाजी, आगा से अइसन गलती कबो ना होखी."
मौलिक व अप्रकाशित
पिछला पोस्ट ==> भोजपुरी लघुकथा : लक्षुमन रेखा
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कुत्तई को अच्छे से प्रोटेक्ट किया है मुखिया जी ने ... :)
प्रतिक्रिया खातिर आभार भाई वीनस जी.
दिन-प-दिन तहनी प ’अदमीपन’ हावी भइल जा रहल बा. हम फेनु कहि रहल बानी.. सुधर जा स, ना त कहियो ’अदमी’ के मउअत मरबs सऽ.." ....हा....हा.....हा आनंद आ गया ,सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय इं गणेश जी "बागी" सर , हार्दिक बधाई !
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, राउर सराहना मिलल, लघुकथा सफल बुझाए लागल, आभार.
जबरदस्त लघुकथा, बहुत बहुत बधाई । |
सराहना खातिर बहुते आभार आदरणीय श्याम नारायन वर्मा जी.
एगो आउर धांसू रचना पे आपके बधाई आ. Er. Ganesh Jee "Bagi" जी |
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