For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*********************************************************************************************************************

 मै यहाँ पर कुछ घनाक्षरी छंद लिखने के नियम साझा कर रहा हूँ इन्हें समझने के लिए मैंने कुछ रचनाकारों की कृतियाँ उदाहरण के रूप में ली हैं जिनसे नियम समझने में सहायता होगी . उदाहरण में नियम लागू करने के लिए कंही कहीं पर  मै केवल दो चरण ही लिख रहा हूँ वैसे घनाक्षरी प्रायः चार चरण की होती है .

*********************************************************************************************************************

घनाक्षरी : 

परिभाषा :   घनाक्षरी वर्णवृत्ति का मुक्तक छंद है इसमें ३० से लेकर ३३ वर्ण तक होतें हैं , वर्णिक छंदों में आधे अक्षर की गणना नहीं होती .

*                   *                           *                     *

१ : मनहरण घनाक्षरी                  (३१ वर्ण)


नियम : मनहरण घनाक्षरी में १६,१५ वर्ण पर यति होती है चरण के अंत में गुरू होता है .

उदाहरण :

प्रभुता की बागडोर आप सबके ही  हाँथ ,

चेतना में आके मान देश का बढ़ाइए.

काम कुछ ऐसे करो रिपु भी दहल जाएँ,

जन-गण मन अमरीका से पढाइए.

अस्मिता से खेलने को जो बढ़ाये हाँथ आगे,

काट दो वो हाँथ और कफ़न उढ़ाइए.

संतति अनूप यदि माता भारती की हो तो,

देश रक्षा हेतु भेंट खुद को चढ़ाइए..                                               (शैलेन्द्र कुमार सिंह 'मृदु')

*                  *                              *                            *

२ : रूप घनाक्षरी                        ( ३२ वर्ण)


नियम : ८,८,८,८ वर्ण पर यति या १६,१६ वर्णों पर . एक चरण में ३२ वर्ण होते हैं. अंत में २१ रहता है.

उदाहरण :

सोखि लीन्हो नीर कूप सरिता तडागन को,पाटल कदम्ब चम्पकादि तरु जारे देत.

अन्धकार धूरि धार छायो नभ मन्डल  लौ ,'चन्द्र' रितुराज को गुमान सब गारे देत.

बरसा के भीषण अनल अवनीतल पै, लतिका लतानन की सान सब झारे देत.

झोरे देत लूहन ते तरुवर तोरे देत, ग्रीषम बसन्त पर गजब गुजारे देत..                    ( चन्द्र शेखर सिंह 'चन्द्र')

*                       *                                 *                          *

३ : जलहरण घनाक्षरी                 (३२ वर्ण)


नियम :   ८,८,८,८ पर या १६,१६ वर्णों पर प्रत्येक चरण में यति होती है चरणान्त में दो लघु वर्ण होते हैं.

उदहारण:

रीझि गये दृग मेरे या उस सिंगार पर,

ललित लिलार पर चारु चिकुरारी पर .

अमल कपोल पर कमल बदन पर ,

तरल तरैय्यन की रुचिर रवारी पर.

दास पग पग दूनो देह गति दग दग,

जगमग है रही कपूर धूरि सारी पर .

जैसी छबि मेरे चित चढ़ि आई प्यारी आज,

तैसियै तू चढ़ि आई बनिकै अटारी पर?                               (भिखारी दास)

*                   *                      *                     *

४ : जन हरण घनाक्षरी              (३१ वर्ण)


नियम :  तीस वर्ण लघु एक वर्ण गुरू अंत में

उदाहरण:

मत डर मन प्रन कर सत पथ चल,

कहन बिगत गत कुगत रहन दे.

अगनित जरत प्रगति लखि दुरमति,

हिय अंधरन जन बकत रहन दे .

जल पथ गजबत चुप कुछ कह मत,

सुनिवत स्वर नित करत रहन दे.

गिरि रज कण बन हटत बिघन पथ,

सुकृत सुरसरित बहत रहन दे ..                         (ओम प्रकाश बरसैय्याँ)

*                        *                        *                               *

५ : डमरू घनाक्षरी        (३२ वर्ण)


नियम : ३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में .

उदाहरण :

प्रणय पवन बह,भरत जगत सब,

नगर डगर घर , अतन मदन मद.

चमक दमक नभ,अमल कमल सर,

लहर लहर हर, तन मन गद गद ..                           (ओम प्रकाश बरसैय्याँ)

*                             *                             *                             *

६: विजया घनाक्षरी       (३२ वर्ण)


नियम: ८,८,८,८ पर प्रत्येक चरण में यति अंत में लघु गुरू या नगण (पद सानुप्रास)

उदाहरण :

बजाई कान्ह बाँसुरी,तीनो लोक बस करी,

बाँसुरी है रस भरी,छतीसों रागिनी भरी.

कान ज्यों भनक परी,सुधि बुधि सब हरी,

मै हो गयी हूँ बावरी,कैसे धीर कोई धरी..                                                 (ओंकार नाथ दुखिया)

*                                *                               *                              *

७ : कृपाण घनाक्षरी        (३२ वर्ण)


नियम : प्रत्येक चरण में ८,८,८,८ पर यति अंत में १ गुरू १ लघु  (पद सनुप्रास ) प्रत्येक यति पर अन्त्यानुप्रास की भांति  अनुप्रास इसे पद सनुप्रास कहते हैं,

उदाहरण :

डायर की जान चाल, रानी झाँसी की बेहाल,

नैन हुये लाल लाल, रक्त में आया उबाल.

सेन को लिया सम्हाल, युद्ध की जला मशाल,

ले के कर करवाल,अश्व चढ़ी ले के ढाल ...                               (ओंकार नाथ दुखिया)

*                          *                               *                               *

८ : हरि हरण घनाक्षरी       (३२ वर्ण)


नियम : प्रत्येक चरण में ८,८,८,८ वर्णों पर यति चरणान्त में दो लघु ( पद सनुप्रास)

उदाहरण:

कर करतार कर, कर यक तार कर,

द्वार पे पसार कर, स्वर ए उचार कर.

छोंड घर बार कर, आया हेर हार कर,

अब न अबार कर, दृष्टि एक बार कर.                                            (ओंकार नाथ दुखिया)

*                              *                                  *                           *

९ : सूर घनाक्षरी                 (३० वर्ण)


नियम : इस घनाक्षरी में ८,८,८,६ पर यति होती है अंत में लघु या गुरू कुछ भी रह सकता है .

उदाहरण :

परसि परमानंद , सीचि के  कामना कंद,

करहिं प्रगट प्रीति, प्रेम के प्रवाल.

बचन रचन हास, समन सुख निवास,

करहि फलहिं फल,अभय रसाल...                                        (सूरदास)

***********************************************************************************************************************

Views: 12248

Attachments:

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service