तर्ज़ : जय जय भैरवि अशुर भयाऊनि
जय जय सीता मिथिला तारिणी
जनक धिया सुखदाई
सुन्दर सुमति दिय हे माता
दुःख निवारू माई
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
अति कोमल राम ह्रिदय वासिनी
हनुमत के आहाँ माई
रावण राक्षस मारक कारण
रामक नाम देखाई
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
गोर वरन नयन अतिसुंदर
मधुर वचन तोर माता
पति परमेश्वर मात्र आहाँ बुझल
दोसर कियो ने विधाता
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
हनुमत के आहाँ अमर बनाओल
पति के आज्ञा सिरु अपनाओल
लव - कुश के स्वाबलंबी बनाओल
संजय के नए बिसरू माता
जय जय सीता मिथिला तारिणी ।
संजय कुमार झा "नागदह"
"मौलिक आ अप्रकाशित "
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