For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन-भागीदारी की अपनी योजना पर कार्य करते हुए प्रधानमंत्री के मानव संसाधन मंत्रालय ने आम जनता से उनके नए शैक्षिक-विचारों और उसे कार्यान्वित करने की विस्तारित योजना अपने पोर्टल mhrd.gov.in पे 29 /10/14 तक पर आमंत्रित की है |ये योजना भारत के सभी आम नागरिकों के लिए खुली है ,फिर चाहे वो किताबी ज्ञान ना रखता हो ये इसकी सबसे आकर्षक बात है | इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि ए.सी. रूमों मी बैठ कर पूरे देश का वर्तमान और भविष्य रचने वाली विभेदकारी पश्चिमी देशों से प्रभावित योजनाएं ध्वस्त होंगी |सबसे अच्छी बात यह  है की अच्छी योजनाओं को चयनित करके उनका प्रस्तुतिकरण वर्तमान H.R.D. मंत्री के समक्ष होगा और सर्वश्रेष्ठ चयनित योजना को चयनित करके उसे आर्थिक और मानवीय सहयोग प्रदान किया जाएगा और इसे लागू करने के लिए एक वर्ष का समय दिया जाएगा |

मेरे वो सभी साथी जो शिक्षा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं और शिक्षा के गिरते स्तर और गिरते मुल्यों  को लेकर चिंतित हैं उनके लिए ये एक सुनहरा मौक़ा है देश निर्माण में शामिल होने का फिलहाल में इस विषय पे अपने कुछ बिन्दुं रख रहा हूँ जिस पर आप अपनी प्रतिक्रियाँ दे सकते हैं

एक प्रकार की शिक्षण प्रणाली –हमारे भारतीय देश प्रेमी जानते थे की मैकाले की शिक्षा-प्रणाली देश के भविष्य को चौपट करने की सुनियोजित साजिश है इसीलिए उन्होंने अपने समय और आवश्कताओं को ध्यान रखते हुए कई विद्यालय और महाविद्यालयों की स्थापना की |दुर्भाग्यवश स्वंत्रर देश ने उन स्कूलों को तो अपना लिया पर उन मूल्यों को नहीं जिसे लेकर उन्हें स्थापित किया गया था निजी स्कूलों के बने रहने और सरकारी स्कूलों में संसाधन-अभाव ,ढीले प्रबंधन और योजना-निर्माण में उन अफ़सरों शिक्षाविदों का दखल जिनके बच्चे इन स्कूलों में जाते ही नही थे ने इनकी स्थिति को बिगाड़ा दिया |अंगेज़ी को एक स्टेटस-विकास और नई सम्भावनाओं की चाबी के रूप पे प्रस्तुत करने तथा सरकारी स्कूलों में लंबे समय तक अंग्रेज़ी को हाशिये पर रखने के कारण मध्यम वर्ग का भी इससे मोह-भंग होता गया और अब स्थिति ये है की जिस माँ-बाप के पास थोड़े से भी पैसे हैं वे सरकारी स्कूलों को बजाए कुकुरमुत्तो की तरह गलियों-मोहल्लों में फैले अधकचरा-अंग्रेज़ी ज्ञान देने वाले अमान्यता-प्राप्त स्कूलों में अपने बच्चे भेजना पसंद करते हैं |स्थिति ये है की गावों और शहरों के सरकारी प्राइमरी-स्तर के कई स्कूल नाम-मात्र के बच्चे लेकर या फ़र्जी दाखिला दिखाकर अपना अस्तित्व  बचाएँ हैं | इसलिए सबसे पहले इस विभाजनकारी शिक्षा-व्यवस्था को ध्वस्त करने की जरूरत है और एक ही प्रकार की शिक्षा-प्रणाली लागू करने की |मेरे विचार में शिक्षा का प्रबन्धन प्राइवेट होना चाहिए जो निरकुंश और नॉन-परफोर्मिंग निकम्मे कर्मचारियों पर अंकुश लगा पाए परंतु इसका वित्त-पोषण सरकारी माध्यम से होना चाहिए ताकि की शिक्षा-कर्मचारियों का आर्थिक शोषण ना हो जैसा की अधिकतर निजी विद्यालयों में होता है |  मेरे विचार से विद्यालय में गरीब-अमीर या धर्म या व्यवसाय के आधर परस्पर शिक्षा को बांटने की प्रणाली समाप्त की जानी चाहिए |मेरी सम्विधान के उस अनुच्छेद पे आपत्ति है जो किसी भी धर्म/सम्प्रदाय को अपने मूल्यों के आधार पर स्कूल और पाठ्यक्रम तय करने की छूट देता है एकल प्रकार के स्कूलों से हम विद्यालयों में अधिक सहिषुण और मानवतावादी शैक्षिक मूल्य पोषित कर सकते हैं |अगर सरकार अभी अपने को इतना सक्षम नहीं पा रही है तो सरकारी और निजी मान्यताप्राप्त विद्यालयों के बीच अनिवार्य शिक्षक –प्रवासन योजना लाई जा सकती है जिससे दोनों तरफ के शिक्षक दोनों प्रकार की प्रणालियों की कमियों और अच्छाइयों को जान पाएं |इससे प्राइवेट स्तर के शिक्षकों के आर्थिक शोषण पर भी रोक लगेगी तथा वे सरकारी स्कूलों और यहाँ के शिक्षकों को हीन भावना से देखने से बचेंगे जबकि खुद को क्रीम कह इतराने वाले सरकारी टीचर वहाँ के कड़े प्रबन्धन में जाकर पिघलेगें और कठिन अनुशासन में काम करना और परिणाम देना सीखेंगे |और इसका लाभ बच्चों को भी ज़रूर मिलेगा |

मेरे विचार में आज के  समय में पाठ्य-पुस्तके उतनी प्रांसगिक नहीं रहीं हैं ,सूचना-क्रांति के नित बढ़ते स्त्रोतों ने ज्ञान का विशद भंडार सब तक सुलभ कराया है इनकी मदद ली जानी चाहिए | विद्यालयों में हर कक्षा-स्तर पे विषय से सम्बन्धित पुस्तकों का सेट उपलब्ध करवाना चाहिए जो उनकी आवश्कताओं और मानसिक-स्तर के अनुकूल हों अर्थात 8 तक कोई पाट्यपुस्तक ना हो बल्कि बस सिलेबस हो और उससे जुड़ी पुस्तके |बच्चों के मूल्याकन की C.C.E योजना को और प्रभावकारी बनाने के लिए अन्तर-विद्यालयी प्रतियोगिता को बढ़ावा दिया जाए और उसके आधार पर भी मुल्यांकन किया जाए |

सभी सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला शैक्षिक-भत्ता समाप्त किया जाए और सरकारी सेवा में नव-प्रवेश करने वालो के लिए अपने बच्चे सरकारी या सरकार-नियोजित विद्यालयों में पढ़ाने की शर्त होनी चाहिए |जब हरेक कर्मचारी विशेषत शिक्षकों के बच्चे इन स्कूलों में आएँगे तो ये लोग शिक्षा के दायित्तवों के प्रति और निष्ठावान बनेंगे |

सी.टेट के नेगेटिव परिणामों ने एक बेहद भयानक स्थिति की और ईशारा किया है कि कुकुरमुतों की तरह बढ़ रहे प्रशिक्षण-संस्थान और उसमें प्रशिक्षित होने वाले  अधिकतर लोग इस देश की शिक्षा व्यवस्था को और गर्त में ले जाएंगे |स्थिति ऐसी है की घर बैठे लोग हरियाणा /एम.पी/जम्मू से  पैसे देकर शैक्षिक-डिग्री हासिल कर रहे हैं  ऐसे में कुछ राज्यों द्वारा सी.टैट में छूट माँगा जाना इसकी गुणवत्ता को और गिराएगा इसलिए इसमें किसी  प्रकार की छूट नहीं होनी चाहिए और ऐसी दुकानों को यथा-शीघ्र ताला लगाना चाहिए | परंतु राज्य और केंद सरकारों को ये भी सुनिचित करना होगा जो थोड़े प्रतिभावान और  शैक्षिक अभिवृत्ति रखने वाले लोग हैं वे तुरन्त और फुल-स्केल पे नियुक्त किए जाएं और सरकार ठेके और बांड के आधार पे शिक्षक नियुक्त करना बंद  करे अभी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ही एस.एस.ए/अनुबन्ध/न.जी.वो/ठेके/स्थाई अध्यापकों के अलग-अलग समूह काम कर रहे हैं इन सबको अलग-अलग प्रकार का  वेतन दिया जाता है जिससे उनके भीतर ही समन्वय का आभाव है तथा इनकी जिम्मेवारी और जवाबदेही भी अलग-अलग है| 

विद्यालय प्रबन्धन कमेटियों से जैसे कि निगम के विद्यालयों से पार्षदों के दखल को रोकने कि आवश्कता है क्योंकि इनका कोई शैक्षिक सरोकार नहीं होता पर अपने राजनैतिक दखल को बनाए रखने के लिए ये अपनी पसंद के लोग इन प्रबन्धन कमेटियों में भेज रहे हैं |इन्हें 15 अगस्त /26 जनवरी पर झंडा लहराने और माला  पहनने तथा निगम की और से आई चीजों को बाँट के वाह-वाही लूटने तथा अध्यापकों के तबादले में दखल देने के अलावा कोई काम नहीं है

स्कूलों और उनके बच्चों के विकास के लिए मिलने वाले फंड से ये क्या काम करते हैं इन्हें सिर्फ इनकी फाइलें ही जानती हैं |

अंतिम बात की अध्यापकों को केवल अध्यापक रहने दिया जाए उसे डाकिया/परवेक्षक/बी.एल.ओ ड्यूटी से मुक्त रखा जाए ताकि वो अपने पारिवारिक और व्यवसायिक कर्तव्यों का सही प्रकार निर्वाह कर पाए तथा उसके प्रति उसे जवाबदेह भी बनाया जा सके |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 551

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service