For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।

केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा।

पुरानी यादें हमेशा हसीन और खूबसूरत नहीं होती। मी टू कैम्पेन के जरिए आज जब देश में कुछ महिलाएं अपनी जिंदगी के पुराने अनुभव साझा कर रही हैं तो यह पल निश्चित ही कुछ पुरुषों के लिए उनकी नींदें उड़ाने वाले साबित हो रहे होंगे और कुछ अपनी सांसें थाम कर बैठे होंगे। इतिहास वर्तमान पर कैसे हावी हो जाता है मी टू से बेहतर उदाहरण शायद इसका कोई और नहीं हो सकता।
दरअसल इसकी शुरुआत 2006 में तराना बुरके नाम की एक 45 वर्षीय अफ्रीकन- अमेरिकन सामाजिक कार्यकर्ता ने की थी जब एक 13 साल की लड़की ने उन्हें बातचीत के दौरान बताया कि कैसे उसकी मां के एक मित्र ने उसका यौन शोषण किया। तब तराना बुरके यह समझ नहीं पा रही थीं कि वे इस बच्ची से क्या बोलें। लेकिन वो उस पल को नहीं भुला पाईं, जब वे कहना चाह रही थीं , "मी टू", यानी "मैं भी", लेकिन हिम्मत नहीं कर पाईं।
शायद इसीलिए उन्होंने इसी नाम से एक आंदोलन की शुरुआत की जिसके लिए वे 2017 में "टाइम परसन आफ द ईयर" सम्मान से सम्मानित भी की गईं।
हालांकि मी टू की शुरुआत 12 साल पहले हुई थी लेकिन इसने सुर्खियाँ बटोरी 2017 में जब 80 से अधिक महिलाओं ने हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वाइंस्टीन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया जिसके परिणामस्वरूप 25 मई 2018 को वे गिरफ्तार कर लिए गए।
और अब भारत में मी टू की शुरुआत करने का श्रेय पूर्व अभिनेत्री तनुश्री दत्ता को जाता है जिन्होंने 10 साल पुरानी एक घटना के लिए नाना पाटेकर पर यौन प्रताड़ना के आरोप लगाकर उन्हें कठघड़े में खड़ा कर दिया। इसके बाद तो "मी टू" के तहत रोज नए नाम सामने आने लगे। पूर्व पत्रकार और वर्तमान केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर, अभिनेता आलोक नाथ, रजत कपूर, गायक कैलाश खेर, फिल्म प्रोड्यूसर विकास बहल, लेखक चेतन भगत, गुरसिमरन खंभा, फेहरिस्त काफी लम्बी है।
मी टू सभ्य समाज की उस पोल को खोल रहा है जहाँ एक सफल महिला, एक सफल और ताकतवर पुरुष पर आरोप लगा कर अपनी सफलता अथवा असफलता का श्रेय मी टू को दे रही है। यानी अगर वो आज सफल है तो इस "सफलता" के लिए उसे "बहुत समझौते" करने पड़े। और अगर वो आज असफल है, तो इसलिए क्योंकि उसने अपने संघर्ष के दिनों में "किसी प्रकार के समझौते" करने से मना कर दिया था।
यह बात सही है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान है और एक महिला को अपने लिए किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
लेकिन यह संघर्ष इसलिए नहीं होता कि ईश्वर ने उसे पुरुष के मुकाबले शारीरिक रूप से कमजोर बनाकर उसके साथ नाइंसाफी की है बल्कि इसलिए होता है कि पुरुष स्त्री के बारे में उसके शरीर से ऊपर उठकर कभी सोच ही नहीं पाता। लेकिन इसका पूरा दोष पुरुषों पर ही मढ़ दिया जाए तो यह पुरुष जाति के साथ भी नाइंसाफी ही होगी क्योंकि काफी हद तक महिला जाति स्वयं इसकी जिम्मेदार है।
इसलिए नहीं कि हर महिला ऐसा सोचती हैं कि वे केवल अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर सफल नहीं हो सकतीं किन्तु इसलिए कि जो महिलाएँ बिना प्रतिभा के सफलता की सीढ़ियाँ आसानी से चढ़ जाती हैं वो इन्हें हताश कर देती हैं।
इसलिए नहीं कि एक भौतिक देह जीत जाती है बल्कि इसलिए कि एक बौद्धिक क्षमता हार जाती है।
इसलिए नहीं कि शारीरिक आकर्षण जीत जाता है बल्कि इसलिए कि हुनर और कौशल हार जाते हैं।
इसलिए नहीं कि योग्यता दिखाई नहीं देती बल्कि इसलिए कि देह से दृष्टि हट नहीं पाती।
आज जब मी टू के जरिए अनेक महिलाएं आगे आकर समाज का चेहरा बेनकाब कर रही हैं तो काफी हद तक कटघड़े में वे खुद भी हैं। क्योंकि सबसे पहली बात तो यह है कि आज इतने सालों बाद सोशल मीडिया पर जो "सच" कहा जा रहा है उससे किसे क्या हासिल होगा? अगर न्याय की बात करें तो सोशल मीडिया का बयान कोई सुबूत नहीं होता जो इन्हें न्याय दिला पाए या फिर आरोपी को कानूनी सज़ा। हाँ आरोपी को मीडिया ट्रायल और उससे उपजी मानसिक और सामाजिक प्रतिष्ठा की हानि की पीड़ा जरूर दी जा सकती है। लेकिन क्या ये महिलाएं जो सालों पहले अपने साथ हुए यौन अपराध और बलात्कार पर तब चुप रहीं इनका यह आचरण उचित है? नहीं, ये तब भी गलत थी और आज भी गलत हैं। क्योंकि कल जब उनके साथ किसी ने गलत आचरण किया था उनके पास दो रास्ते थे। उसके खिलाफ आवाज उठाने का या चुप रहने का, तब वो चुप रहीं।

 आज भी उनके पास दो रास्ते थे, चुप रहने का या फिर मी टू की आवाज़ में आवाज़ मिलाने का, और उन्होंने अपनी आवाज उठाई। वो आज भी गलत हैं। क्योंकि सालों तक एक मुद्दे पर चुप रहने के बजाय अगर वो सही समय पर आवाज उठा लेतीं तो यह सिर्फ उनकी अपने लिए लड़ाई नहीं होती बल्कि हजारों लड़कियों के उस स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़ाई होती जो उन पुरुषों को दोबारा किसी और लड़की या महिला के साथ दुराचार करने से रोक देता लेकिन इनके चुप रहने ने उन पुरुषों का हौसला बढ़ा दिया। उस समय उनकी आवाज इस समाज में एक मधुर बदलाव ला सकती थी लेकिन आज जब वो आवाज़ उठा रही हैं तो वो केवल शोर बनकर सामने आ रही हैं। वो कल भी स्वार्थी थीं, वो आज भी स्वार्थी हैं। कल वो अपने भविष्य को संवारने के लिए चुप थीं आज शायद अपना वर्तमान संवारने के लिए बोल रही हैं। यहाँ यह समझना जरूरी है कि यह नहीं कहा जा रहा ये महिलाएँ गलत बोल रही हैं बल्कि यह कहा जा रहा है कि गलत समय पर पर बोल रही हैं। अगर सही समय पर ये आवाजें उठ गई होती तो शायद हमारे समाज का चेहरा आज इतना बदसूरत नहीं दिखाई देता। केवल पुरुषों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। गीता में भी कहा गया है कि अन्याय सहना सबसे बड़ा अपराध है।

डॉ नीलम महेंद्र

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 445

Replies to This Discussion

आ. नीलम जी सादर अभिवादन । बेहतरीन और तार्किक लेख के लिए हार्दिक बधाई ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
15 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
21 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service