एक गजल
जीवन की सब उलझन दूर करे कोई
अपने मन की व्यथा चूर करे कोई
दुनिया में जो आयें है सब जायेंगे
सतकर्मो से खुद को मशहूर करे कोई
दिल की सारी बातें पूरी करना तुम
मर्जी अपनी क्यों,मजबूर करे कोई
रखवाले सरहद के चमकीले तारों से
पत्थर से उनको बेनूर करे कोई
बैठूँ खाली हाथों कितनी ही शामों तक
आशियाने को सहर नूर करे कोई
बबीता (सहर)
फरीदाबाद
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