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१
देखूँ इसको मै शरमाऊं
मन का सारा हाल सुनाऊ
सांझ सवेरे इसको अर्पण
का सखी साजन ?ना सखि दर्पण
२.
चूमे होंठ लाल कर जाए
मन में शीतलता भर जाए
उस पल रहे ना कोई भान
का सखि साजन ? ना सखि पान
3.
लम्बा है इतना जैसे ऊँट
पहना नहीं है कोई सूट
तन के खड़ा है जैसे बन्ना
का सखि साजन ?ना सखी गन्ना
---------पारुल'पंखुरी'
(मौलिक औए अप्रकाशित)
Posted on July 5, 2014 at 10:00am — 15 Comments
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