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Er.vir parkash panchal
  • Male
  • kapurthala,punjab
  • India
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Welcome, Er.vir parkash panchal!

Profile Information

Gender
Male
City State
kapurthala .punjab
Native Place
jind city.haryana
Profession
govt.service
About me
study in jind,job in punjab,my father is editor and writer,i creates poems in hindi since 6 years.

Er.vir parkash panchal's Blog

पत्थरों के शहर में

 

मेरे घर  में आँगन नहीं है,

देहरी और  दहलीज नहीं है ,

दरवाजे से सांखल गायब ,

दस्तक  देती तहजीब  नहीं है ,

मेरा घर पत्थरों  के शहर में बसता है

|                                     

मेरे घर की पास की गलियां  ,

जब तब रोतीं हैं बिन घूँघट के,

किसी के आने की उम्मीद लगाये,

रात को भी ये  जागती रहती हैं ,

मेरा घर पत्थरों  के शहर में बसता है

 

वर्तमान को पोषित करती भर्मित…

Continue

Posted on November 1, 2012 at 11:30am — 4 Comments

शहर में शांति है

शहर में शांति है



आज गाँधी जी के बुत के सामने फिर दंगे भड़क गए

धर्म के नाम पर लोग भिड़ गए मेरे शहर में

कितने ही मासूमों का खून बह निकला सड़कों पर

दिनभर से शहर में कर्फ्यू लगा है 

और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |



हर रोज बलात्कार होते हैं मेरे शहर में

आबरू लूटती है चोराहों पर दोपहर में

नन्ही बच्चिओं को मार देते हैं जन्म से पहले

दर्द भरी चीखें निकलती हैं अँधेरी गलियों से 

और…
Continue

Posted on September 28, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

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