For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहर में शांति है

आज गाँधी जी के बुत के सामने फिर दंगे भड़क गए
धर्म के नाम पर लोग भिड़ गए मेरे शहर में
कितने ही मासूमों का खून बह निकला सड़कों पर
दिनभर से शहर में कर्फ्यू लगा है 

और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

हर रोज बलात्कार होते हैं मेरे शहर में
आबरू लूटती है चोराहों पर दोपहर में
नन्ही बच्चिओं को मार देते हैं जन्म से पहले
दर्द भरी चीखें निकलती हैं अँधेरी गलियों से 
और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

इंसानियत की नीलामी हो चुकी है मेरे शहर में
कातिल बेखौफ घूम रहे हैं बाजारों में 
छिना- झपटी तो हर चोराहे पर हो रही है
कानून - व्यवस्था का बाजा बज रहा है , 
और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

आज अख़बारों में घायल ख़बरों का अम्बार है 
कल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए है
भीड़ ने कई वाहन सड़कों पर जला दिए
सरकार विरोधी नारों का शोर है
और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

बे -ईमान , नकली नेताओं की भरमार है मेरे शहर में ,
घपले -घोटालों का सजा बाज़ार है ,
जनता बेकरार और लाचार है , 
व्यवस्था से परेशान लोगों का हाहाकार है ,
और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 30, 2012 at 12:55am

हर रोज बलात्कार होते हैं मेरे शहर में
आबरू लूटती है चोराहों पर दोपहर में
नन्ही बच्चिओं को मार देते हैं जन्म से पहले
दर्द भरी चीखें निकलती हैं अँधेरी गलियों से 
और प्रशासन कह रहा है शहर में शांति है |

सच में वीर प्रकाश जी दुर्दशा पसरी है प्रशासन की आँखें हैं ही कहाँ ?? ..बहुत सुन्दर सन्देश  ...सुन्दर रचना  ....

अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 
जय श्री राधे 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 29, 2012 at 8:16pm

यही तो हमारे देश का दुर्भाग्य है प्रशासन को दिखाई भी नहीं देता और सुनाई भी नहीं देता ये आक्रोश आपकी रचना में बखूबी झलक रहा है बहुत बढ़िया प्रस्तुति 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 29, 2012 at 7:26pm

अपनी सामाजिक संवेदनशीलता को यथार्थपरक सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपनें इस रचना में. हार्दिक बधाई वीर प्रकाश जी 

Comment by Raman Jain on September 29, 2012 at 6:45pm

वाह , वीर प्रकाश जी , नपुंसक प्रशासन का क्या खूबसूरत चित्रण किया है , वाह, आप को बहुत बहुत बधाई ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service