निशा की गहराती निद्रा में ,
गूँजा था जब ‘ माँ ‘ का स्वर |
चहुँ दिशाओं में देखा मैंने ,
न पाया कोई , अंदर बाहर न अम्बर ||
बोली वो पुन: आर्द्र स्वर में ,
माँ मैं तेरी अजन्मी बेटी |
तेरे अंतर्मन की व्यथित दशा ,
पलभर को भी न सोने देती ||
तेरे अश्रु की अविश्रांत धारा ,
जता रही घटना सारी |
कल होगा मेरा दुर्दांत अंत ,
भ्रूण हत्या की है तैयारी ||
जीवन के अंकुर…
ContinuePosted on March 28, 2015 at 12:35pm — 7 Comments
मन वीणा के झनके तार ,
पिया मिलन की आई रात |
सकुचाती , इठलाती पहुँची द्वार ,
पिया मिलन की मन में आस ||
उनके रंग में रंग जाऊँगी ,
दूजा रंग न मन भाऊँगी |
अधरों पर अधरों की लाली ,
खिल मन में इठलाऊँगी ||
आज रति ने छेड़ी मधुतान ,
पिया मिलन की मन में आस ||
गलबाहों का हार पहनाकर ,
मंद – मंद मुसकाऊँगी |
श्वासों की मणियों से ,
भावों को खूब सजाऊँगी ||
आज आया जीवन में मधुमास ,
पिया…
ContinuePosted on March 24, 2015 at 5:33pm — 10 Comments
( महाप्रभु चैतन्य के जीवन चरित्र को पढ़ते – पढ़ते जब उनका निर्वाण पक्ष पढ़ रही थी तभी उनकी माँ और पत्नी के वियोग से मेरी आँखें भर आयीं और मन में कुछ भाव प्रस्फुटित हुए उन्हीं को शब्दबंध करने का एक छोटा – सा प्रयास है ये
ContinuePosted on March 23, 2014 at 4:30pm — 8 Comments
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