For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anjana Dayal de Prewitt
Share on Facebook MySpace

Anjana Dayal de Prewitt's Friends

  • Raj
  • rajendra kumar
  • अमि तेष
  • dr.shailesh pathak
  • raj jalan
  • anupama shrivastava[anu shri]
  • Azeez Belgaumi
  • Manoj Kumar Jha
  • विवेक मिश्र

Anjana Dayal de Prewitt's Groups

 

Anjana Dayal de Prewitt's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Cayey, Puerto Rico
Native Place
New Delhi
Profession
Humanitarian Psychologist, Writer

Anjana Dayal de Prewitt's Blog

बड़ा वक़्त हो गया

यह रचना मेरे छोटे से (उम्र से तो २८ साल का है पर लगता मेरे बेटे जैसा ही है), बहुत प्यारे से भाई के लिए लिखी है, वो दिल्ली में रहता है और उससे मिले करीब ढाई साल हो गए हैं... मेरे दो भाई हैं एक बड़ा और एक छोटा, इश्वर करे सब को ऐसे भाई मिलें

 

शानू के हाथों में तेरे हाथ नज़र आते हैं,

मगर तेरे हाथों को हाथ में लिए बड़ा वक़्त हो गया

 

स्काइप पे तुझे देख-सुन लेती हूँ,

पर तुझे गले से लगाए बड़ा वक़्त हो गया

 

कोई ख़ास बात होती है तो ही…

Continue

Posted on May 31, 2011 at 9:00pm

दूर कहीं शोर सुनाई देता है

लिखने, पढ़ने और रोज़मर्रा के कामों सारा दिन निकल जाता है,

दिल करता है की यहीं दिल लगा लूं,

घर वालों की देख रेख करूँ, उनका…
Continue

Posted on May 30, 2011 at 9:30pm — 2 Comments

इंतज़ार, अँधेरा और अकेलापन

कभी महफ़िल हुआ करती थी यहाँ,
अब सब है धुआं-धुआं,
इंतज़ार, अँधेरा और अकेलापन
बसता है अब यहाँ 
किसी की आहट, कोई दस्तक,
किसी का आना, कहाँ होता है अब यहाँ?
शायद इस कुँए में वो मिठास ही नहीं रही  
के कोई प्यासा रुकता यहाँ 
बस बेरंग पर्दों से खेलती है हवा आजकल,
शमा कहाँ जलती है अब यहाँ?
साज़ खामोश ही रहते हैं अक्सर,
मोसिक़ी-ए-ख़ामोशी बजती है अब यहाँ 
सब कद्रदान…
Continue

Posted on May 27, 2011 at 6:58pm

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:46am on September 14, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 9:29am on June 16, 2011, Raj said…
thanx for being my friend,  r u working for a social cause?
At 9:54am on October 13, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 9:09am on October 13, 2010, Admin said…

At 11:36pm on October 12, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |See More
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है…"
1 hour ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"विकास जोशी 'वाहिद' तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ…"
1 hour ago
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
5 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service