For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Asif zaidi
Share on Facebook MySpace
 

Asif zaidi's Page

Latest Activity

Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   आदरणीय Manan Kumar singh जी बहुत बहुत बधाई बढ़िया भाषा का  प्रदर्शन सादर ।"
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   आदरणीया KALPANA BHATT ('रौनक़') जी बहुत बहुत बधाई स्वीकार किजिए अच्छी लघुकथा अच्छा विषय सादर।"
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   मोहतरम Sheikh Shahzad Usmani साहब बहुत ख़ूब मुबारकबाद ने अंदाज़ की बहतर लघुकथा जनाब ।"
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   आदरणीय TEJ VEER SINGH जी बहुत बहुत बधाई बहुत बढ़िया लघुकथा बहतर विषय सादर ।"
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी बहुत बहुत बधाई बहुत शानदार लघुकथा सबको आमेज़,सादर  "
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
"   आदरणीय Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' जी प्रथम प्रस्तुति की  बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना सादर ।"
Oct 31, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-55 (विषय: घर संसार)
" *अनवर साहब घर में घुसते ही बोले। "अरे बेटी'(शाहीन) तुम यहीं हो"? "जी सलीम(दामाद) मुझे लेने नहीं आए' (शाहीन ने कुछ शिकायत भरे अंदाज़ में कहा)"तो क्या हुआ, 'बेटी' मैं छोड़ आता हूं"।शाहीन-"जब तक…"
Oct 31, 2019
Asif zaidi commented on Saurabh Pandey's blog post ग़ज़ल - इन्हीं चुपचाप गलियों में जिये रिश्ते तलाशेंगे // सौरभ
"  आदरणीय सौरभ जी बहुत उम्दा ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई सादर"
Oct 27, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"   जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन' साहब बहुत ख़ूब उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद ।"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"   आदरणीया अमीत जी"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
" मोहतरम Amit Kumar "Amit" साहब बहुत बहुत शुक्रिया जनाब ।"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"   मोहतरम अनीस साहब तवज्जो के लिए बहुत शुक्रिया जनाब ।"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
" आदरणीय बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी बहुत मशकूर हूँ सादर ।"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"  जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम ।"
Oct 26, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"   मोहतरम अनीस साहब बहुत बहुत मुबारकबाद उम्दा ग़ज़ल के लिए ।"
Oct 25, 2019
Asif zaidi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-112
"जनाब नादिर ख़ान साहब बहुत बहुत मुबारकबाद उम्दा ग़ज़ल के लिए ।"
Oct 25, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Ujjain
Native Place
Ujjain
Profession
Poet

Asif zaidi's Blog

चाँद बता तू कौन हमारा लगता है

चौदहवीं पे कितना प्यारा लगता है।

कितना दिलकश ये नज़्ज़ारा लगता है।।

आँख मिलाए और कभी शर्माए तू।

चांद बता तू कौन हमारा लगता है।।

चांदनी हरदम पास हमारे रहती है।

चांद मगर क्यों हमसे पराया लगता है।।

तुझसे पहले आंखों में यह चुभते हैं।

तुझ पे क्यों तारों का पहरा लगता है।।

उसका अक्स जो पलकों में धर लेते हैं।

क़ैदी सा फिर चांद हमारा लगता है।।

आसिफ़ तुम दरिया बन जाते हो जो कभी।

उसमें तुम्हारा चांद…

Continue

Posted on May 26, 2019 at 12:30am

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:44pm on May 17, 2025, Erica said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com)Thanks.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service