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DINESH KUMAR VISHWAKARMA
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DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय सादर नमस्कार।ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार।"
Oct 26
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"सम्माननीय ऋचा जी सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई।इस्लाह से हमें भी सीखने को मिला।"
Oct 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम स्वीकार कीजिए ।आपसे सीखने को मिलता है। दर्द फिर उभरना है... शे'र अच्छा लगा ।शेष इस्लाह भी अच्छी हुई है।बधाई।"
Oct 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"सादर अभिवादन स्वीकार करें आदरणीय Euphonic amit जी । बारीकियों से इंगित करने व इस्लाह हेतु शुक्रियःएक कोशिश : चराग़ तुझको अँधेरों में जीना मरना हैहै जितना दम तुझे इस तीरगी को हरना है ये जो शिकार है चीते से बच नहीं सकताजो दौड़ हार गया तय है उस को मरना…"
Oct 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर अभिवादन स्वीकार करें । ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई। इस्लाह अच्छी हुई है। 6वाँ शे'र अच्छा लगा।"
Oct 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"1212 1122 1212 22/112 चराग़ तुझको अँधेरों में ही निखरना हैजहाँ के वास्ते सब तीरगी को हरना है सफ़र में देख नज़ारे तू कुछ ख़याल न करवो तय करेगा किसे कब कहाँ उतरना है सभी शिकार हैं ये काइदा है जंगल काजो दौड़ हार गया बस उसी को मरना है जब अपने पाँव की…"
Oct 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। अच्छी रचना हेतु बधाई"
Oct 13
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया प्रतिभा जी ,सादर नमस्कार। छंद अच्छा है। बधाई"
Oct 13
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"कुंती का रहस्य कृष्ण जानते थे जबकि द्रोपदी चीरहरण में कृष्ण को ही पुकारा गया था । कृष्ण शान्ति प्रस्ताव भी ले गए थे। लेकिन युद्ध स्वाभाविक था व गीता भी युद्ध भूमि में कही गई। कहीं न कहीं दोनों नारियों के प्रति कृष्ण का सम्मान था। यहाँ बिकने से आशय…"
Oct 13
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय सादर नमस्कार । मानस के दोहा संख्या 71 में प्रथम चरण प्रिया त्रिकल है वहीं पारबतिहि में षटकल है। वह पारबतीहि नहीं है । जबकि दोहा संख्या 77 में पारबती पहिं जाइ तुम्ह.... में पारबती षटकल है। मानस के अधिकांश दोहों में विषम चरणान्त 212 पर समाप्त…"
Oct 13
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"सादर अभिवादन स्वीकार करें आदरणीय Raktale जी। आपके बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु आभार आपका ।"
Oct 12
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय नमस्कार । दोहे छंद हेतु बधाई किंतु कई स्थान पर देवी को देवि लिखा गया है व कहीं कहीं पँचकल मात्रिक से विषम चरण की शुरूआत हो रही है व कहीं कहीं लय बाधा प्रतीत हो रही है। बाकी गुणीजनों के सलाह की प्रतीक्षा रहेगी।"
Oct 12
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"नारी बेटी का ब्याहगरीब पिता के लिएहोता है जीवन भर का स्वप्न देखा कई बार इसके लिएखेत बिकतेखलिहान बिकतेदेखा.... कई बारख़ुद के अरमान बिकते क्योंकि...पुत्री के रूप में जन्म लेती है, लक्ष्मीकुंती का रहस्यद्रोपदी का प्रतिशोधसीता की पतिव्रतासती का हठशबरी…"
Oct 12
DINESH KUMAR VISHWAKARMA updated their profile
Oct 11
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। इस्लाह हेतु बहुत बहुत आभार आपका।"
Aug 28
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय संजय जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। 5वाँ शे'र अच्छा है। बधाई आपको।"
Aug 28

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Gender
Male
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kondagaon
Native Place
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ग़ज़ल

ग़ज़ल

1222/1222/1222/1222

वही जज़्बा वही लहजा लिए अख़बार आता है

मगर उस हादसे से क्यूँ परे अख़बार आता है ।

चुनावी दौर के वादे मुकम्मल हो न हो लेकिन

तुम्हे भी हो ख़बर घर पर मेरे अख़बार आता है ।

जो भर्तियाँ अटकी हैं उनका क्या हुआ होगा

अभी तो कोर्ट से लड़ते हुए अख़बार आता है ।

यकीनन सच को ही तो सामने आना जरूरी था

अगरचे झूठ के नीचे दबे अख़बार आता है ।

जो उनके पैरहन का रंग भी चर्चा में आ जाए

यहाँ मातम…

Continue

Posted on March 1, 2022 at 6:00pm

 
 
 

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