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Kamal purohit
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"सादर प्रणाम सर जी अच्छा सुझाव दिया मिसरे में बदलाव कर लिया है। लेकिन यहां प्रीवियस कमेंट नहीं दिख रहे बहुत कोशिश कर ली सिर्फ अंतिम 3-4 कमेंट ही नज़र आते है"
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छा प्रयास हुआ है"
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
"आदरणीय दंडपाणि नाहक जी हृदय से धन्यवाद आपका"
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
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Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-150
"वज़्न - 1222-1222-1222-1222 गिरह ख़ुदा या बदनसीबी क्यों मेरी किस्मत में लिक्खी है अजब माँ हूँ कोई बच्चा मेरा ज़िंदा नही रहता मतला कोई गुलशन हमेशा ज्यों फला फूला नहीं रहता मुहब्बत का समय वैसे ही इक जैसा  नहीं रहता शेर कभी दिन के उजालों में…"
Dec 29, 2022
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"ख़ुश रहो ।"
Jul 6, 2022
Samar kabeer and Kamal purohit are now friends
Jul 6, 2022
Kamal purohit commented on Samar kabeer's blog post ग़ज़ल :- हज़रत-ए-'मीर' की ज़मीन में
"वाह सर जी कमाल ग़ज़ल बेजोड़ काफ़िये इस मिसरे पर मैं सहमत नहीं (बेअदब हूँ अदब नहीं आता) इसके लिए मैं इतना ही कहना चाहता हूँ अदब भी जहाँ पर अदब सीखता है वो दर आपका है वो घर आपका है"
Jul 6, 2022
Kamal purohit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-130
"जी बहुत खूब लिखा आदरणीय लक्ष्मण धामी जी"
Aug 15, 2021
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चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Jun 30, 2021
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Jun 29, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Kolkata
Native Place
Rajasthan
Profession
Stock dealer

ग़ज़ल

भले ही जहाँ ने ये माना नहीं है।
कोई पर मेरे यार जैसा नहीं है।

बता तो दिया है ज़माने को लेकिन,
असर क्यों मुहब्बत का दिखता नहीं है।

यूँ शर्म ओ हया की न बातें करो तुम,
अगर इन निगाहों पे पर्दा नहीं है।

नुमाइश की आदत तुम्हें होगी शायद,
मुझे करना आता दिखावा नहीं है।

कहानी में कुछ तो नयापन भी लाओ
पुराना सा किस्सा सुनाना नहीं है।

अगर खोने पाने की चिंता न हो तो,
किसी बात का फ़र्क पड़ता नहीं है।

ख़ुदा ने हमें ख़ुद की ख़ुशी से नवाज़ा
हुजूर आपने क्यों ये माना  नहीं है।

हमेशा अलग था "कमल" तू जहाँ से,
मगर क्यों समझ तू ये पाया नहीं है।

अप्रकाशित और मौलिक

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At 10:39am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

At 12:25pm on July 6, 2022, Samar kabeer said…

ख़ुश रहो ।

 
 
 

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