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mayank
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Male
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kanauj
Native Place
saurikh
Profession
teaching
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simple one having ordinary visions

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At 12:38pm on May 31, 2015, mayank said…
पहिचान :-
''मैं पहले ही कह रही थी कि इसके लाव लक्क्षन ठीक नहीं हैं । परनाले की ईंट मंदिर में कब लगी है ? जात खून अपना असर कैसे छोड़ सकते है ।''
'' कोठे की रौनक घर की आरती में कैसे रमती ।''
'' इंसान की पहिचान का तजुर्बा है मुझे ।मैंने तो पहले ही कहा था । ''
लक्षमनियां दो दिन से लापता थी । उसका मरद विशेशुर परेशान था ।भगा कर ब्याह किया पर दिल मानने को तैयार न था कि लक्षमनियां धोखा दे सकती है ।
यहां जितने मुंह उतनी बातें ।
''नदी पार एक लाश मिली । बलात्कार के बाद गला दबाया गया ।लाश के हाथ में शर्ट का ये टुकड़ा मिला , कोई पहिचानता है क्या ?'', हलका इन्चार्ज तफ्तीश पर था ।
एक साथ कई जोड़ी निगाहें विशेशुर के भाई की तरफ उठीं , पर पहिचान का तजुर्बा शायद अपनी आवाज खो चुका था...
मौलिक एवं अप्रकाशित
At 3:30am on May 7, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपको ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से जन्म-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

At 11:05pm on April 28, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आप यहाँ मौलिक व अप्रकाशित रचना पोस्ट कर सकते है।

 अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

At 4:29pm on April 27, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
आप यहाँ मौलिक व अप्रकाशित रचना पोस्ट कर सकते है। है । अधिक जानकारी हेतु नियम अवश्य पढ़े।
At 4:21pm on April 27, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओबीओ परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

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Jan 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
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