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rajinder toki
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Male
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kHANNA 141401 Panjab
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KHANNA
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Retired Professor
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Rajinder toki's Blog

ग़ज़ल

ख़बर सबकी है ख़ुद से बेख़बर हैं

ख़ुदा जाने के हम कैसे बशर हैं।



असर कलयुग का कुछ ऐसा हुआ है

फकीरों की दुआएं बेअसर हैं।



परिंदे ढूंढते हैं आशियाना

के शहरों में बचे कुछ ही शजर हैं।



हैं आलीशान ज़ाहिर में सभी कुछ

मगर टूटे हुए अंदर से घर हैं।



मिटी इंसानियत आदम बचा है

हज़ारों हो गये ऐसे नगर हैं।



जो दें किरदार की खुशबू सभी को

बहुत कम रह गये ऐसे,मगर हैं।



अंधेरों ने किये दर बंद सारे

उजाले फिर रहे अब दर…

Continue

Posted on December 7, 2015 at 11:30am — 3 Comments

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At 9:58pm on December 6, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

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 ग़ज़ल की बातें 

 

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