मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
मेरे श्याम सांवरे
कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं
कभी तेरे कुंडल मोहें मोहे
कभी माथे की बिंदिया
कभी तेरी बंसी छेड़े मोहे
कभी अँखियाँ छीने निंदिया
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
लाल-पीली पगड़ी पे कान्हा
मोती बन माथे पे लटक जाऊं
कभी होठों की लाली मोहे मोहे
कभी भाल का चन्दन
कभी तेरी बतियां सोहे मोहे
कभी राधिका…
Added by Poonam Matia on January 15, 2014 at 1:30am — 12 Comments
विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएं जिस तरह बड़े-बड़े पैकेज (हज़ारों ,लाखों में ) ले रही हैं उसे देख अधिकतर महिलाएं खुद को बहुत नीचा या कमतर समझती है जब उनसे पूछा जाता है कि वे क्या करती हैं ........और शर्म महसूस करती हैं.यह बताने में कि वे केवल हाउसवाइफ हैं .
यह इसलिए कि हाउसवाइफ का मतलब अक्सर यह समझा जाता है कि या तो वह घर में चूल्हा-चौका करती है या फिर सिर्फ किट्टी पार्टियों में अपना समय व्यतीत करती हैं ....... जबकि वास्तविक स्थिति इसके बिलकुल विपरीत होती है ...अधिकांश महिलाएं…
Added by Poonam Matia on January 14, 2014 at 5:30pm — 22 Comments
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