स्नेहा सिंघानिया मेरी फेसबुक मित्र थी, उनसे फेसबुक पर चैटिंग करते दो बरस बीत गयें थे, वह बहुत ही सकारात्मक व्यक्ति थी, मैं काफी दिनों से उनसे कुछ अच्छा सीखने की उम्मीद कर रहा था और मिलने का आग्रह भी | आज इलाहाबाद का यमुना तट, सरस्वती घाट और हजारो जलती रोशनियां हमारी पहली डेटिंग के गवाह बनने वाले थे | मैं अपनी आदत के मुताबिक तयशुदा समय से पहले ही आ गया था | हेलों पढ़ाकू ! सुनकर मैं चौका, वह इसी नाम से मुझे चैटिंग के दौरान संबोधित करती थी | आवाज की दिशा में मैं मुड़ा तो काले रंग का महंगा सूट…
ContinueAdded by ajay yadav on February 19, 2013 at 6:30pm — 9 Comments
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