कामनाएँ
साल दर साल रैन बसेरा के साथ मत दो
बस एक ख्याल ही अपना आने दो ।
गगन के विस्तार सा आयाम मत दो
बस एक कोने में सिमटा सूर्य बन रहने दो ।
सावन की हरियाली सा संजीवनी अहसास मत दो
बस एक अमलतास बन मुस्काने दो ।
सर्द रातों में बाहों के घेरे का जकड़न मत दो
बस टिकने के लिए कंधे का सहारा दे दो ।
आँखों में बंद ख्वाबों का आसरा मत दो
बस अपनी एक बेचैन पल का हवाला दे दो ।
दूब की मखमली चादर पर साथ न चलने दो
बस ओस की एक बूँद बन गिर जाने…
Added by kavita vikas on February 1, 2012 at 10:25pm — 3 Comments
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