अब न रहे वो चाँदी से दिन,सोने सी वो रातें हैं
बाबुल का वो प्यारा अंगना,सपनो की सी बातें हैं
इसी अंगने मेंभाई बहन संग ,खेल कूद कर बड़े हुए
संग संग खाना,लड़ना झगड़ना,अब बस मीठी यादें हैं
चैन न था इक पल जिनके बिन,जाने कैसे बिछुड़ गए
अब सब अपनी अपनी उलझन अलग अलग सुलझाते हैं
चाहे कितना हृदय दग्ध हो,चाहे कितना बड़ा हो संकट
हम तो बिल्कुल ठीक ठाक हैं,सदा यही दर्शाते हैं
इस दिखावटी युग में यदि हम,हृदय खोल सुख दुःख बाटें
निश्चय सरल…
ContinueAdded by Veena Gupta on March 4, 2022 at 12:30am — 2 Comments
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