ना कर खुदी को बुलंद इतना
कि अपनो का साथ छूट जाएँ
और खुदा भी ना पूछे,
बता तेरी रजा क्या हे
गर बढ़ना हे आगे
तो अपनों को साथ
लेकर चल
मंजिल पर पहुच कर
कही अकेला ना रह जाये
हर ख़ुशी बेमानी हे
गर अपनों से ना बांटी जाये
Added by Sanjeev Kulshreshtha on April 9, 2012 at 11:55am — 1 Comment
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