जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ
कब हुआ है पर मेरा सोचा हुआ
ले रहा हूँ साँस तो मैं हर घड़ी
सच तो ये मुझको मरे अरसा हुआ
कौन सुलझाता ये मेरी मुश्किलें
हर कोई अपने में जब उलझा हुआ
मैंने सबको अपना ही माना मग़र
दिल से कोई कब मेरा अपना हुआ
कोशिशें नाकाम ही होंगी सभी
वक़्त कब लौटा भला बीता…
ContinueAdded by deepak kumar shukla on June 30, 2016 at 1:00pm — 3 Comments
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