कभी-कभी खुद से बात करना
भी बड़ा अजीब सा होता है
कभी-कभी खुद को
सुनने का मन नहीं करता
जब सच खुद से बोला नहीं जा सकता
और
झूठ में जीना
मुश्किल लगता है.
ये मेरी अप्रकाशित रचना है.
अभिषेक शुक्ल
Added by ABHISHEK SHUKLA on August 29, 2016 at 5:10pm — 1 Comment
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