कृष्ण तुमने छल किया है.
छलिया हो तुम
सारी दुनिया को काम पर लगा दिया
कह कर ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’.
फ़ल की आशा किससे न करे?
तुमसे?
चलो, तुम तो सखा हो
मीत को सताना तुम्हारा हक है.
प्रेम भी तो करते हो.
पर तुम्हारे जो ये कारिन्दें है न,
जीना मुश्किल कर दिया है.
हक मांगने जाओ, तो तुम्हारी बात दुहराते हैं.
अब, तुम तो आओगे नही
हमसे काम लेने.
वैसे तुम्हारा काम तो मै बिना दाम भी कर देता.
तुम…
ContinueAdded by विजय कुमार अग्रहरि 'आलोक' on September 9, 2016 at 8:30pm — 2 Comments
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