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Abhinav's Blog – September 2010 Archive (2)

मेरा इक छोटा सा सपना

मेरा इक छोटा सा सपना
कब होगा वो पूरा अपना

देखो ये बरसाती मौसम
छत का मेरी टप-टप करना

बचपन की सब बातें मुझको
लगती मुझको जैसे सपना

राही भटका राहों में है
कोइ घट न जाए घटना

लम्बी तानू सोना चाहूं
मेरा इक छोटा सा सपना

Added by abhinav on September 27, 2010 at 7:30pm — 2 Comments

मन में

मन में मंदिर होता है

तब मन भी सुंदर होता है

दुःख तो आना जाना है

क्यूँ चिंता करता रोता है

दूजे पर क्यूं हँसता है

वही काटेगा जो बोता है

पाप करेगा भोझ भी उसका

जीवन भर दिल ढोता है

पहले सोचा होता तुने

दाग लगा तब धोता है

रातों को वो जागे है

दिन भर देखो सोता है

Added by abhinav on September 19, 2010 at 2:28pm — 19 Comments

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