वक़्त आने दो ज़रा फ़िर न झुकूंगा देख लेना ।
एक दिन पत्थर पे पानी से लिखूंगा देख लेना ।
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मैं तेरे रहमोकरम की काफिरी करता नही हूँ ।
हूँ मुकम्मल एक तूफ़ां जब उडूँगा देख लेना ।
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हौसला रख चल पड़ा हूँ रौशनी लाने दिलों में ।
एक जुगनू सा अँधेरों से लड़ूँगा देख लेना ।
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रास्तों में हूँ यक़ीनन दूर मुझसे मंज़िलें, पर ।
चल रहा हूँ मंजिलों पर ही रुकूँगा देख लेना ।
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वक़्त का क्यावक़्त गुज़रेगा अँधेरी रात का भी ।
जगमगाता भोर का…
Added by रकमिश सुल्तानपुरी on October 17, 2018 at 3:00am — 4 Comments
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