रावण
.
तिल्ली का मुंह
दियासलाई की पीठ पर
रगड़ते ही
रावण
धू धू कर जल उठा
उसके जिस्म की आग
धुंआ और राख
ऊपर उठकर
फ़ैल गए चार सू
यहाँ वहां जहाँ तहां
अँधेरे से जुगलबंदी कर
लोट आये पुनः धरा पर
शबनम संग चुपके से
जब आप थे निद्रा के आगोश में
उसके भस्मबीज
चू पड़े खेतों में
खड़ी साग सब्जी और फसलों
के अंतरमन में
और
उग आये रावण
गाँव -गाँव …
Added by Anant Alok on October 13, 2016 at 8:00pm — 3 Comments
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