जिनको चाहा था, वो अनजानों की भीढ़ में खो गए
जो चाहते हें, वो अपनो की भीढ़ में खो गए
हम तनहा थे तनहा ही रह गए
काश भीढ़ में चाहत होती
अपनो का ना सही, अनजानों का साथ तो होता
Added by Sanjeev Kulshreshtha on October 4, 2011 at 8:49pm — 1 Comment
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