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आँखों मे छुपी अश्कों की जागीर का मतलब
समझेगी न ये दुनिया मेरी पीर का मतलब
चल मुझसे नहीं तुझको महब्बत ज़रा समझा
वो पर्स में तेरे मेरी तस्वीर का मतलब
जन्नत है कहीं गर तो यहीं पर है यहीं पर
क्या था कभी क्या आज है कश्मीर का मतलब
थे एक से बढ़ एक गुरु फिर भी न समझे
वो बीच सभा खिंचते हुए चीर का मतलब
इस जिस्म के हर हिस्से में बाँधे हूँ मैं ज़ेवर
कैसे मुझे मालूम हो जंजीर का…
Added by anjali gupta on November 3, 2020 at 11:30pm — 8 Comments
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