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Poonam Matia's Blog (3)

मुक्तक -कोरोना

किसी की जां पे बन आई, किसी को खेल कोरोना

नहीं मुश्किल, बहुत आसान अपने 'हाथ ही धोना'


कि छोटी-छोटी बातों को रखो तुम ध्यान में अपने

रहेगा दूर फिर हमसे विदेशी रोग का रोना

चलो छोड़ो गले मिलना,'नमस्ते' ही को अपनाओ

बढ़ाओ अपनी क्षमता और 'शाकाहार' ही खाओ…

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Added by Poonam Matia on March 15, 2020 at 1:00am — 5 Comments

मेरे कान्हा

मुश्किल में हूँ कान्हा

कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ

मेरे श्याम सांवरे

कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं

कभी तेरे कुंडल मोहें मोहे  

कभी माथे की बिंदिया

कभी तेरी बंसी छेड़े मोहे 

कभी अँखियाँ छीने निंदिया

मुश्किल में हूँ कान्हा

कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ

लाल-पीली पगड़ी पे कान्हा

मोती बन माथे पे लटक जाऊं

कभी होठों की लाली मोहे मोहे  

कभी भाल का चन्दन

कभी तेरी बतियां सोहे मोहे 

कभी राधिका…

Continue

Added by Poonam Matia on January 15, 2014 at 1:30am — 12 Comments

"हाउसवाइफ कहलाने में शर्म क्यूँ ? यह तो गर्व की बात है"

विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएं जिस तरह बड़े-बड़े पैकेज (हज़ारों ,लाखों में ) ले रही हैं उसे देख अधिकतर महिलाएं खुद को बहुत नीचा या कमतर समझती है  जब उनसे पूछा जाता है कि वे क्या करती हैं ........और शर्म महसूस करती हैं.यह बताने में कि वे केवल हाउसवाइफ हैं .



यह इसलिए कि हाउसवाइफ का मतलब अक्सर यह समझा जाता है कि या तो वह घर में चूल्हा-चौका करती है या फिर सिर्फ किट्टी पार्टियों में अपना समय व्यतीत करती हैं ....... जबकि वास्तविक स्थिति इसके बिलकुल विपरीत होती है ...अधिकांश महिलाएं…

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Added by Poonam Matia on January 14, 2014 at 5:30pm — 22 Comments

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