मेरे दिलबर का जो भी ढब है.. ग़ज़ब है.
रूठ जाने का जो सबब है.. ग़ज़ब है.
ज़िंदगी से गिला बहुत है हमे, पर,
साँस लेने की जो तलब है.. ग़ज़ब है…
आम इंसान हूँ मै,तुम सा ..तुम्ही सा,
लोग कहते हैं तू अजब है…ग़ज़ब है.
वो है संग-दिल, है बेरहम, है सितमगर,
उसपे भी लखनवी अदब है.. ग़ज़ब है.
वो जिसे आज तक किसी ने न देखा,
ज़र्रे-ज़र्रे मे उसकी छब है …ग़ज़ब है.
हमने पूछा था,”चाँद, कब है अमावस?”
चाँद खुद पूछ बैठा, कब है??..ग़ज़ब…
Added by rajneesh sachan on January 4, 2013 at 3:04pm — 8 Comments
"अपनी कमजोरियों का शिकार आदमी,
बस दलीलों से है ज़ोरदार आदमी.. बारहा माफ़ करता रहे, वो खुदा, गलतियां जो… |
Added by rajneesh sachan on December 21, 2012 at 4:40pm — 14 Comments
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