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Squadron Leader Mukesh Rai's Blog (1)

जिजीविषा

“इससे अच्छा तो मैं अपने जीवन का ही अन्त कर लूं , अब क्या रखा है इस जीवन में . बेटी ने भाग कर शादी कर ली और बिरादरी में मेरी नाक कटा दी , एक लड़का है जिससे कुछ उम्मीदें थीं पर वो भी अब आवारा ही निकल गया , उसकी बद्तमीजियां दिन पर दिन बढती ही जा रही हैं. पत्नी भी सीधे मुह बात नहीं करती.” इस प्रकार सार्जेंट अभिलाष के जीवन जीने की अभिलाषा सामाप्त होती जा रही थी. हर पल वो सोच के समन्दर में डूबता जा रहा था और उतना ही अवसाद (डिप्रेशन) उसपर हावी होता जा रहा था. वो कहते हैं ना कि विपत्तियां आती हैं तो…

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Added by Squadron Leader Mukesh Rai on May 11, 2014 at 10:30am — 7 Comments

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