For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Arvind Kumar's Blog (5)

बहुत कुछ खो चुके हैं हम (ग़ज़ल)

अना की कब्र पर जबसे, गुलों को बो चुके हैं हम,

हमें लगने लगा है, फिर से जिंदा हो चुके हैं हम।



उगेंगे कल नए पौधे, यकीं कुछ यूँ हुआ हमको,

ज़मीं नम हो गयी है, आज इतना रो चुके हैं हम।



उतारे कोई अब तो, इन रिवाजों के सलीबों को,

छिले कंधे लिए, सदियों से इनको ढो चुके हैं हम।



मेरे सपने अभी तक डर रहे हैं, सुर्ख रंगों से,

हथेली से लहू यूँ तो, कभी का धो चुके हैं हम।



बची है अब कहाँ, मुँह में जुबाँ औ ताब आँखों में,

बहुत पाने की चाहत में,…

Continue

Added by Arvind Kumar on February 3, 2014 at 12:30pm — 7 Comments

एक मार्केटिंग मैनेज़र की आत्मव्यथा

मैं सपने बेचता हूँ।

आज के, कल के,

और कभी कभी तो बरसों बाद के भी।



इन सपनों की ज़रुरत नहीं तुम्हें।

इनका अहसास मैंने दिलाया है,

तुम्हारे जेहन में घुसकर...

तुम्हारे डर को कुरेदकर।



मैं और मुझ जैसे सैकड़ों लोग,

झांकते हैं,

तुम्हारे गुसलखानों में,

तुम्हारी रसोई में,

तुम्हारे ख्वाबगाहों में।



मुझे पता है,

कितनी दफा ब्रश करते हो तुम,

कैसे रोता है तुम्हारा बच्चा गीली नैपी में, और

क्यूँ तुम्हारे चेहरे की चमक खो…

Continue

Added by Arvind Kumar on August 4, 2013 at 7:30am — 11 Comments

किरदार

किसी भूली कहानी का, कोई किरदार दिखता है,

मेरा क़स्बा मुझे , अब सिर्फ इक बाज़ार दिखता है।



कि जैसे सर के बदले, आईनें हों सबके कन्धों पर,

मुझे हर शख्स मुझसा ही, यहाँ लाचार दिखता है।



यही इक मर्ज़ है उसका ,दवा भी बस यही उसकी,

शहर, चाहत में पैसे की, बहुत बीमार दिखता है।



बचेगी किस तरह मुझमें, किसी मंजिल की अब हसरत,

समंदर के सफ़र में, बस मुझे मंझधार दिखता है।



न कोई रब्त है, ना गम, न कुछ बाकी तमन्नाएँ,

ये शायर शय से सारी, इन दिनों…

Continue

Added by Arvind Kumar on July 8, 2013 at 4:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल - कुछ तेरे होने तलक थी, कुछ तुम्हारे बाद है

कुछ मुझी में प्यार मेरा, इस कदर आबाद है,

कैद में दुनिया है मेरी, दिल मेरा आज़ाद है।



पाँव थमते ही नहीं, अब मंजिलों पर भी मेरे,

ये मेरी आवारगी, शायद मेरी हमजाद है।



कुछ दिनों से चाय की प्याली नहीं खनकी यहाँ,

बिन तेरे बिखरी रसोई, क्या कहाँ, कब याद है।



है जवानी भूलती इस बात को ना जाने क्यूँ,

इक बुढ़ापे ने ही इस घर की रखी बुनियाद है।



दिल को मेरे है शिकायत जाने…
Continue

Added by Arvind Kumar on November 8, 2012 at 8:39pm — 7 Comments

ना जाने आईने से, कैसी अपनी परदादारी है...

ख़ुशी के कितने लमहे हैं, जीस्त जिनसे संवारी है,

मेरे गम का मगर ये पल, मेरे जीने पे भारी है.



कोई भी ख्वाब अब आता नहीं, जो दे सुकूं मुझको,

मुलाजिम हूँ, रातों पर मेरे, अब पहरेदारी है.



जलाए कितने ही घर, कितने ही दुश्मन मिटा डाले,

नहीं आती कोई भी चीख, ये कैसी खुमारी है.



हो कोई सामने, पर बढ़ना है सर काटकर मुझको,

जिसे ठहराते हो जायज, वो जीने की बीमारी है.



मेरी जेबें भरी हैं, खूँ सने सिक्कों से अब, लेकिन,

कोई…

Continue

Added by Arvind Kumar on January 23, 2012 at 3:22pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service