ना कर खुदी को बुलंद इतना
कि अपनो का साथ छूट जाएँ
और खुदा भी ना पूछे,
बता तेरी रजा क्या हे
गर बढ़ना हे आगे
तो अपनों को साथ
लेकर चल
मंजिल पर पहुच कर
कही अकेला ना रह जाये
हर ख़ुशी बेमानी हे
गर अपनों से ना बांटी जाये
Added by Sanjeev Kulshreshtha on April 9, 2012 at 11:55am — 1 Comment
सच्चाई को खोजने चला था,
झूठ ही झूट मिले,
मोहब्बत खोजने चला,
तो बेवफाई मिली,
जब खोजना छोड़ दिया,
तो तन्हाई मिली,
अब तो खुदी को खोजने चला हूँ ,
जो चाहा था बेवजह था
जो मिला है बेइंतहा है
यूही भटक रहा था
अब सकून ही सकून है |
Added by Sanjeev Kulshreshtha on March 1, 2012 at 1:00pm — 8 Comments
जिनको चाहा था, वो अनजानों की भीढ़ में खो गए
जो चाहते हें, वो अपनो की भीढ़ में खो गए
हम तनहा थे तनहा ही रह गए
काश भीढ़ में चाहत होती
अपनो का ना सही, अनजानों का साथ तो होता
Added by Sanjeev Kulshreshtha on October 4, 2011 at 8:49pm — 1 Comment
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |