बंद दरवाज़ा देखकर
लौटी है दुआ
आँख खुली तो जाना ख़्वाब और सच है क्या
धीमे-धीमे दहक रहे है
आँखों में गुजरे प्यार वाले पल
राख हो कर भी सपने
गर्म है
बुझे आँच की तरह
बर्फ में जमे अहसास
मानो धुव में ठहरे
दिन –रात की तरह
चुपी ओढे बैठी मैं
चेहरे पर सजाए मुस्कुराहट
प्यार का…
ContinueAdded by Rinki Raut on November 13, 2017 at 10:42pm — 4 Comments
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