For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।

1222 1222 1222 1222

 

अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।

किराए का सही कोई ठिकाना मिल ही जाएगा।

.

अगर तर्के तअल्लुक का अहद कर ही चुके हो तुम,

ज़ह्न पर ज़ोर दो, कोई बहाना मिल ही जाएगा।

.

हमें अच्छी बुरी कोई न कोई मिल ही जाएगी,

तुम्हें डिप्टी कलक्टर का घराना मिल ही जाएगा।

.

ज़रूरत क्या है दरिया के भँवर को आज़माने की, 

किनारा थाम कर चलिए, दहाना मिल ही जाएगा।

.

खुशी अपनी किसी लॉकर में रख कर भूल गए हम लोग,

तलाशी लें अगर अपनी ख़ज़ाना मिल ही जाएगा।

.

भले कितना भी कुछ कर लीजिए इनके लिए लेकिन,

अगर वालिद हैं तो बच्चों से ताना मिल ही जाएगा।

.

तेरी अच्छाइयां तुझ तक पलटकर आ ही जाएंगीं,

तुझे जो भी मुनासिब है, कहा ना मिल ही जाएगा।

 

बलराम धाकड़

मौलिक व अप्रकाशित.

Views: 250

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on September 28, 2023 at 12:07pm
नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by Euphonic Amit on September 26, 2023 at 11:52pm

आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब 

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। 

कुछ बिंदुओं से अवगत करवाना चाहूँगा। 

अगर तर्के तअल्लुक का अहद× कर ही चुके हो तुम

ज़ह्न× पर ज़ोर दो, कोई बहाना मिल ही जाएगा।

सहीह शब्द हैं अह्द 21 और ज़िह्म 21

अच्छी बुरी कोई न कोई मिल ही जाएगी,

तुम्हें डिप्टी कलक्टर का घराना मिल ही जाएगा।

सानी में तुम्हें के साथ 'भी' शब्द की कमी महसूस हुई।

ज़रूरत क्या है दरिया के भँवर को आज़माने की,

किनारा थाम कर चलिए, दहाना मिल ही जाएगा।

'दहाना' की जगह 'किनारा' शब्द से सानी कहना

ज़ियादा सार्थक होता हालांकि किनारा क़ाफिया

यहाँ इस्तेमाल नहीं कर सकते।

खुशी अपनी// किसी लॉकर // में रख कर भू// ल गए× हम लोग,

उला बेबह्र हो रहा है

इस बह्र में साकिन की छूट नहीं ली जा सकती

मेरी शुभकामनाएँ सदैव आपके साथ हैं आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
22 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service