कल ही की तो बात है
अध्यापन शुरू किया था मैंने
आज आया है एक नया सवेरा
विदाई समारोह होना है मेरा
समय चक्र घूमता ही रहता
हमें इसका आभास न होता
पर सच्चाई यही थी
सहकर्मियों व कर्मस्थली से
होनी मेरी आज विदाई थी
जीवन में आनेवाली शून्यता का
अहसास हो रहा था
इस पीड़ा को व्यक्त करना
शब्दों में असंभव था
खैर ..विदाई तो होनी थी हो गई
मेरी कर्मस्थली मुझसे जुदा हो गई
अब क्या करूँ ..कैसे करूँ
जीवन बोझ सा न लगे
आँखें बंद कर
भविष्य के बारे में सोचने लगी
बच्चे अपनी गृहस्थी में व्यस्त
पति अपने व्यवसाय में
सोचा भगवान ने मौका दिया है
क्यूँ ना कर लूँ वो इच्छाएँ पूरी
जो न कर पाई व्यस्त आलम में
करूँ ज़रूरतमंदों की सेवा निष्काम
इसी से होगी मेरी शून्यता कम
खुद को तैयार कर
चली करने इस कार्य का विस्तृत दायरा
खालीपन, रिक्तता, शून्यता, अवसाद
जीवन से डरकर भागने लगे
मन प्रफुल्लित रहने लगा
होंठ गुनगुनाने लगे
विजयाश्री
15.04.2013
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आभार मीना पाठकजी
चली करने इस कार्य का विस्तृत दायरा
खालीपन, रिक्तता, शून्यता, अवसाद
जीवन से डरकर भागने लगे
मन प्रफुल्लित रहने लगा
होंठ गुनगुनाने लगे.................... बहुत - बहुत सुन्दर .. बधाई आप को
हार्दिक आभार
जवाहर लाल सिंहजी
शालिनी रस्तोगीजी
सही मायने में यह जीवन की नई शुरुआत है .. बहुत बहुत शुभकामनाएँ
बहुत ही सुंदर भाव! आज के अवकाशप्राप्त लोगों के लिए सुंदर सन्देश!
हार्दिक आभार ......
डॉ आशुतोष वाजपईजी
कुन्ती मुकर्जी जी
प्रज्ञा श्रीवास्तवजी
अमन कुमारजी
आबिद अली मंसूरीजी
सुन्दर अभिव्यक्ति विजयश्री जी
वाह ! कितनी आशाएं है ..........इंसान के मन के हारे हार है ...माने तो जीत है . वही इंसान जीवन में सफ़ल कहलाता है जो अंतिम सांस तक कर्मरत रहता है.सादर/
बधाई ...
शुभकामनाऐँ आपको!
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