For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब अपने वश मे अहंकार कर लिया मैने
तब अपनी हार को स्वीकार कर लिया मैने

उसे घमंड कि उसने मुझे मिटा डाला
मुझे ये गर्व कि एक वार कर लिया मैने

तुम्हे भी याद रहे मेरा सुर्खरु होना
लो अपने रक्त से श्रृगार कर लिया मैने

जो मेरे मित्र ने भेजा था प्यार से तोहफा
उसी कफ़न हि को दस्तार कर लिया मैने

बड़े ही प्रेम से जीवन के हर मरुस्थल को
तुम्हारा नाम लिया पार कर लिया मैने

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Babita Gupta on May 19, 2010 at 12:24pm
bahut badhiya hai, tarif key liyey shabd nahi hai, kafi achhi ghazal hai,thanks
Comment by fauzan on May 17, 2010 at 11:55pm
Yograj Bhai
Bahut mohabbat hai aapki..Shukriya
Comment by fauzan on May 17, 2010 at 11:53pm
Pritam bhai ,Kanchan aur Asha ji
Aap logon ko bahut bahut dhanyawad.
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 16, 2010 at 4:33pm
जब अपने वश मे अहंकार कर लिया मैने
तब अपनी हार को स्वीकार कर लिया मैने
bilkul sahi likha hai aapne fauzan bhai.....jo ahankar ko apne bas me kar liya samjho wo haar ko bhi sweekar kar liya....
bahut hi badhiya gazal likha hai aapne ye.....
Comment by Kanchan Pandey on May 16, 2010 at 3:13pm
waah waah , bahut hi badhiya Gazal hai, Asha didi sahi kah rahi hai, aapkey tarif mey jo bhi likhana chaahti hu wo shabd ees rachna key aagey chhota pad jaa rahey hai, bahut umdda gazal hai,
Comment by asha pandey ojha on May 16, 2010 at 2:20pm
Waah ..kamal ...gzab ...bahut hee umda ,,gzal ..Ek sher yaad aa rha hai ..
tareef me jinkee shbd hee kho jayen
kaise karen unkee tareef aap hee btayen....shbd khoo gaye ..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2010 at 12:01pm
इक तो ये दिलकश अंदाज़-ए-बयान - ऊपर से गंगा जमनी शीरीं ज़ुबान ! कुर्बान - कुर्बान - कुर्बान - कुर्बान भाई जान ! ये खाकसार आपकी शायरी पर कुर्बान ! खुदारा भाभी जी से कहें की हर रोज़ आपकी नजर उतारा करें !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2010 at 8:32am
बड़े ही प्रेम से जीवन के हर मरुस्थल को
तुम्हारा नाम लिया पार कर लिया मैने

सर जी ग़जब का लिखा है आपने, जबरदस्त ग़ज़ल की प्रस्तुतु है ये , एक एक अल्फाज़ अर्थपूर्ण है, बहुत बढ़िया ,
Comment by Admin on May 14, 2010 at 11:50pm
जब अपने वश मे अहंकार कर लिया मैने
तब अपनी हार को स्वीकार कर लिया मैने

जो मेरे मित्र ने भेजा था प्यार से तोहफा
उसी कफ़न हि को दस्तार कर लिया मैने

आदरणीय फैजान साहब, प्रणाम, सबसे पहले तो मै आपके पहले ब्लॉग का ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर स्वागत करता हू, आपने बहुत ही उम्द्दा ग़ज़ल लिखा है, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी का मै तहे दिल से शुक्रिया करता हू की उन्होने ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार मे आप जैसे बेहतरीन फनकार के रूप मे एक अनमोल हिरा दिया है, आपके ग़ज़ल पोस्ट हनी से पहले योगराज जी ने आपकी उबूरे-कलम की काफी तारीफ किया था , जो बिलकुल सही निकला, बहुत ही सुंदर और ससक्त अभिव्यक्ति है ये गजल आपका, आगे भी आप की रचना का इन्तजार रहेगा, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service