For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- कोई सूरत तो हो कि तुझपे ऐ’तबार आये

2122- 1212- 1212- 22 /112

कोई सूरत तो हो कि तुझपे ऐ’तबार आये

क्या पता दिलफ़रेब बन के ग़मग़ुसार आये

 

मैं तुझे भूलने की कोशिशों में हूँ बेचैन

पर मुझे तेरा ही खयाल बार-बार आये

 

ज़ीस्त गुज़री ख़मोशियों के दरमियान मगर

ये हुआ वक़्ते मर्ग लोग बेशुमार आये

 

दिल नज़ारा ए रंगो गुल को कब से तरसे है

ऐ खुशी काश तू मिसाले नौबहार आये

 

कौन सा दह्र है ये कौन सी जगह है जहाँ

दूर तक बस नज़र गुबार ही गुबार आये

 

(दिलफ़रेब- धोखा देने वाला, ग़मग़ुसार- हमदर्द, वक़्ते मर्ग- मौत के समय

मिसाले नौबहार- बहार की तरह, दह्र- काल)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1078

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:17am

आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:17am

आदरणीय विजय मिश्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:16am

आदरणीय भुवन निस्तेज जी रचना को समय देने के लिये आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:15am

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:15am

आदरणीय राहुल डांगी जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:14am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:12am

आदरणीय दिनेश कुमार जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:11am

आदरणीय गुमनाम जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:10am

आदरणीय बागी जी रचना की सराहना के लिये आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 18, 2015 at 10:10am

आदरणीय हरिप्रकाश दूबे जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सादर प्रणाम 🙏गुरु जी सहृदय शुक्रिया आ गुरु जी ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिए  अगर ये पता…"
4 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । तीसरा शे'र बहुत कमज़ोर…"
4 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।"
10 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"///तंग" के मात्रा पतन में मुझे भी संशय है// इस शब्द में मात्रा पतन नहीं है बल्कि लुग़त के हिसाब…"
19 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब अमीर जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें । 'उकता गये जहान की…"
22 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब संजय शुक्ल जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । दूसरे शे'र…"
31 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"इस ग़ज़ल पर अच्छी चर्चा हुई है,उसे पढ़े बग़ैर आप ग़ज़ल की तारीफ़ कर रहे हैं? ये ओबीओ की परिपाटी नहीं है ।"
45 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"क्या आप भी ओबीओ की परिपाटी भूल गए,और बिना ग़ज़ल पर हुई चर्चा पढ़े बग़ैर टिप्पणी करदी?"
47 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जनाब आज़ी तमाम जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है, गुणीजन के…"
50 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
55 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आ सुधार किया गया है ग़ौर कीजियेगा हर शख़्स को मिली हैं यहाँ अपनी इक नज़र "क्यों देखें…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"बहुत बहुत शुक्रिया आ हौसला अफ़ज़ाई का"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service