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पूछताछ /लघुकथा /कान्ता राॅय

" हो तेरी ...भीड़ ! क्या हो रहा है वहाँ बाहर ? लगता है रामचंद्र के छोरे को पुलिस पुछताछ में लगाई हुई है । जरूर कोई कांड करके आया है ये । "

"क्या कह रहे हो रनिया के बापू ... देखूं तो ..! दिन भर छोरे की तारीफ़ करती उसकी महतारी अघाती नहीं थी । जाकर अब जरा मुफ्त में अपना कलेजा ठंडा कर आती हूँ । "

"ठहरो , मै भी चलता हूँ । "

"क्या कांड किया हो दरोगा जी , इस लफंगे ने ?" - मुँछों पर ताव देकर ही मजा लिया जा सकता है... सो लगे रहे चुटकियों से मुँछे उमेठने में ।

" ये तुम्हारे यहाँ का छोरा बहुत बडा काँड करके आया है । कल शाम समंदर के किनारे गुब्बारे बेचने नहीं जान की बाजी लगा एक बच्ची को बचा कर आया है । पेपर में छपने वाला है ये ।

देश के बहादुर बच्चों में हम इसको नामंकित करने आये है । "

दरोगा ने आँखे तरेर कर उसकी तरफ देख फिर अचानक उस छोरे की तरफ मुड़ उसकी पीठ ठोंक लिखा - पढी करने में लग गये ।
ताव वाली मुँछ अब नीचे की ओर ससर कर मुँह में जा रही थी ।

मौलिक और अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2015 at 12:16am

जलन और डाह को सार्थक फटकार मिली है आदरणीया कान्ताजी. 

हार्दिक बधाई 

Comment by kanta roy on August 13, 2015 at 11:48am
आदरणीय ओमप्रकाश जी आभार आपको कि आपको मुँछो की ताव पसंद आई । सादर
Comment by kanta roy on August 13, 2015 at 11:46am
आभार आपको आदरणीया प्रतिभा जी रचना पसंद करने हेतु ।
Comment by Omprakash Kshatriya on August 10, 2015 at 5:59pm
आ कान्त जी , मुछो पर ताव देने वालो की ओकात दिखाती सुन्दर लघुकथा आप की ।
Comment by kanta roy on August 10, 2015 at 12:30pm
वाह !!! बहुत - बहुत शुक्रिया आपको आदरणीय मिथिलेश जी , शीर्षक को लेकर बडे़ ही पशोपेश में थी मै , जो कि आपने पल भर में ही इसका निराकरण कर दिये । " पूछताछ " ..... अति उत्तम । वाक्य के सुधार पर भी नजर करती हूँ अभी तुरंत ।आभार एक बार फिर से । सादर
Comment by pratibha pande on August 10, 2015 at 12:15pm
'ताव वाली मूंछ अब नीचे की ओर ससर कर मुहँ में जा रही थी 'मूंछों की गत को क्या बढ़िया शब्द दियें हैं वाह कांता जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 12:13pm

आदरणीया कांता जी, बढ़िया लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. 

 काँड /काण्ड / कांड..... ? पुछताछ / पूछताछ 

कल शाम समंदर के किनारे गुब्बारे बेचने नहीं जान की बाजी लगा एक बच्ची को बचा कर आया है । पेपर में छपने वाला है ये ।

वाक्य विन्यास देख लीजियेगा. पुछताछ

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