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रिश्तों की नई परिभाषा ( आज के सन्दर्भ मे )

(१)
शादी ....
समझौते की गाडी मे
स्नेह की सीट पर बैठकर
अंतिम स्टेशन तक
पहुचने की चाह रखने वाले
दो सहयात्री ॥

(२)
गर्लफ्रेंड -बॉय फ्रेंड का प्यार .....
कसमों - वादों की सिलवट पर
लुका -छिपी की नमक के साथ
पिसी गई
मुस्कराहट की चटनी ॥

(३)
पत्नी का प्यार ........
उबड़ -खाबड़ रास्तो पर
रातों को उगने वाला
गंध -विहीन
कैक्टस के फूल
सूघने जैसा ॥

(४)
शाली (पत्नी की छोटी बहन ) का प्यार.....
रूपये की भट्टी पर
सेंकी गयी रोटी का
फूलों की शहद के साथ
खाने का मजा ॥

(५)
माँ का प्यार .....
अस्थियों के हवन मे
वात्सल्य की घी डालकर
तैयार की गई
काजल ॥

(६)
पिता का प्यार ......
स्नेह की मिटटी
लाड -प्यार की हवा
और
पसीने की जल से सिंचित
मह्क्नेवाला फूल ॥

(७)
भाभी का प्यार ......
ममता की चीनी
और
डाट-फटकार की दूध
से बनी
चाय की चुस्की ॥

(८)
बहन का प्यार .......
लाड़-प्यार
और
दुलार के धागों से बनी
एक न टूटने वाली रस्सी ॥

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2010 at 11:36am
पत्नी का प्यार ........
उबड़ -खाबड़ रास्तो पर
रातों को उगने वाला
गंध -विहीन
कैक्टस के फूल
सूघने जैसा ॥
hahahaha, badhiya badhiya likhey hai, bas ek request hai Bhabhi ko mat padhaiyeyga, nahi tooooo...
Comment by Admin on June 19, 2010 at 6:02pm
सब रिश्तो की पोल खोल दी,
कविता के बहाने से,
क्या कहे बब्बन भाई,
अब डर लगता है जमाने से,

सुंदर अभिव्यक्ति,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 18, 2010 at 6:21pm
जो कलियुग में थे अभी, कुछ रिश्ते अंजान
बब्बन भैया धन्य है, करा दिया पहचान

कृपया ध्यान दे...

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